करीब 5 महीने बाद हुई नगर निगम अम्बाला शहर की बैठक आज भारी हंगामे और राजनीति की भेंट चढ़ गई। इस दौरान न केवल पार्षदों के बीच तीखी नोकझोंक हुई बल्कि सचिव एवं डीएमसी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी रख दिया गया। करीब एक घंटे की अनौपचारिक नोकझोंक के बाद जब बैठक विधिवत प्रारंभ हुई तो पिछली बैठक की कार्रवाई की पुष्टि को लेकर वोटिंग करवाने को लेकर बना गतिरोध नहीं टूट पाया और बैठक को आगामी आदेशों तक के लिए स्थगित कर दिया गया। आज रखे गए भारी भरकम एजेंडे पर चर्चा शुरू होने से पहले ही हंगामा बरपा गया।
मेयर शक्तिरानी की अध्यक्षता में आहूत बैठक सुबह 10.30 पर बुलाई गई थी लेकिन हाउस में पहुंचने के बाद विभिन्न पार्षद आपस में बहस में पड़ गए। इस बीच मोनिका मल, मिथुन वर्मा, संदीप सचदेवा, टोनी चौधरी, मनीष आनंद, हितेष जैन आदि अनेक पार्षदों ने अपने माइक बंद होने पर आपत्ति उठाई। लेकिन डीएमसी ने इसे दूसरे विभाग का मामला बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। कांग्रेस के मिथुन वर्मा ने बैठक के लिए समुचित समय नहीं दिए जाने पर आपत्ति उठाई तो डीएमसी एवं सचिव दीपक सूरा ने बैठक को इमरजेंसी बैठक करार दे दिया जिसके बाद सामान्य और इमरजेंसी के अर्थ को लेकर ही पार्षद अधिकारी से भिड़ गए। इसी बीच मिथुन ने सचिव के खिलाफ निंदा प्रस्ताव रख दिया जिसके बाद पार्षदों ने मेजें थपथपाकर स्वागत किया।
इसी बीच मेयर ने भी बैठक को सामान्य बैठक बताकर पार्षदों का समर्थन किया तो पार्षदों ने देरी से बैठक बुलाए जाने का कारण पूछा। बैठक को देरी से बुलाए जाने का कारण पूछने पर मेयर ने कहा कि कई बार लिखने के बाद भी उन्हें पिछली बैठक की प्रोसीडिंग उपलब्ध नहीं करवाई गई। वह 3 नवंबर को भी बैठक के लिए लिख चुकी हैं। मेयर ने उनसे पिछली मीटिंग की प्रोसीडिंग न भेजने का कारण भी पूछा लेकिन डीएमसी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। इस पर डीएमसी मेयर को स्पष्टीकरण देते दिखे लेकिन मेयर ने उन्हें कटघरे में खड़ा करके जिम्मेवार बताने में कोई कौताही नहीं की और नगर निगम आयुक्त संगीता तेतरवाल को कार्रवाई करने को कहा।
सदन में एक मौका ऐसा आया जब भाजपा कांग्रेस भी एक हो गई और जमकर बवाल काटा। वे सभी पिछली बैठक की कार्रवाई की पुष्टि के लिए वोटिंग करवाने की मांग कर रहे थे जबकि मेयर का कहना था कि एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है। दोनों पक्षों ने एक्ट की किताबें निकालकर नियमों का हवाला देना प्रारंभ कर दिया लेकिन कोई हल नहीं निकलता देख मुख्यालय से मार्गदर्शन मिलने तक मेयर ने बैठक को स्थगित करने का फैसला सुना दिया।
मनोनीत पार्षद को बोलने से रोका गया
मनोनीत पार्षद पूजा चौधरी ने जब पिछली बैठक में पारित रेहड़ी फड़ी मार्केट के लिए स्थान बारे जानना चाहा तो डीएमसी दीपक सूरा ने उन्हें यह कहकर बोलने से मना कर दिया कि मनोनीत पार्षदों को बैठक में बोलने का अधिकार ही नहीं है। वह मांगे जाने पर केवल सुझाव दे सकते हैं। इस पर पूजा ने कहा कि वह तो पारित प्रस्ताव पर हुई कार्रवाई के बारे जानना चाहती हैं और जयश्र बोलेंगी। इससे पूर्व उनके पति एवं जजपा के प्रदेश प्रवक्ता विवेक चौधरी ने यही मुद्दा उठाने का प्रयास किया तो मेयर ने किसी गैर पार्षद को बोलने से मना कर दिया और कहा कि पार्षदों के साथ गैर पार्षद बैठ भी नहीं सकते। इसके बाद पूजा वाक आउट करके विवेक के साथ सदन से चली गई।
‘भाजपा समर्थित पाषर्षद नहीं चाहते विकास’
सदन में हजपा के पार्षदों डिप्टी मेयर राजेश मेहता, सरदूर सिंह, राकेश कुमार आदि ने कहा कि भाजपा समर्थित पार्षद शहर का विकास नहीं चाहते। इसलिए सोच समझकर हंगामा करके बैठक का माहौल बिगाड़ते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक के इशारे पर अधिकारी और भाजपा पार्षद नगर निगम का कामकाज निर्विघन चलने ही नहीं देना चाहते जिसका जवाब आगे आने वाले चुनाव में जनता खुद दे देगी। डिप्टी मेयर ने आज के दिन को निगम इतिहास का काला दिवस बताया।