असाधारण परिस्थितियों से निपटने के लिए असाधारण नीतियों की जरूरत होती है। कोविड-19 महामारी ने देश के बाकी राज्यों की तरह हरियाणा के सामने भी अप्रत्याशित चुनौतियां पेश की। पिछले साल की करीब साढ़े 8 हजार करोड़ रुपये की बकाया उधारी समेत लगभग 12 हजार करोड़ रुपये के वित्तीय प्रोत्साहन की बदौलत हरियाणा ने असाधारण परिस्थितियों से निपटने का रिकवरी प्लान तैयार किया है। हरियाणा सरकार के इस प्लान में बिजली, स्वास्थ्य, खेती और ढांचागत विकास की कई बड़ी परियोजनाएं शामिल हैं, जो राजस्व की कमी की वजह से धीमी गति से चल रही थी। अब अपने शहर में लीजिए सबसे बेहतरीन एसयूवी की टेस्ट ड्राइव – यहां क्लिक करें कोरोना की वजह से मंदी में चल रही हरियाणा की अर्थव्यवस्था को केंद्र की उधारी से मिला बल हरियाणा सरकार ने सुदृढ़ और उदीयमान हरियाणा की परिकल्पना पर कदम बढ़ाते हुए चार बिंदुओं पर खास फोकस रखा है। प्रमुख क्षेत्रों की प्राथमिकताएं तय करना इसका पहला स्तंभ है। मध्यम अवधि परिव्यय फ्रेमवर्क (एमटीइएफ रिजर्व फंड) तैयार करना, परिणाम आधारित विकास और योजनाओं के क्रियान्वयन पर ध्यान देना हरियाणा सरकार की विकास परिकल्पना के बाकी तीन बिंदु हैं।
केंद्र सरकार ने 27.1 लाख करोड़ रुपये के संचित वित्तीय प्रोत्साहन के साथ चरणों में आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, जिसकी मदद से हरियाणा कोरोना से पैदा हुई असाधारण परिस्थितियों से लगातार बाहर निकलता जा रहा है। कोरोना के संकट काल में जिस मदद की जरूरत हरियाणा को थी, केंद्र के हाथ बढ़ाने से वह जरूरत पूरी हुई है।
हरियाणा ने करीब 12 हजार करोड़ की उधारी के साथ तैयार किया फोर लेन विकास माडल हरियाणा सरकार का वित्त मंत्रालय मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्वयं संभालते हैं। इस बार उन्होंने करीब डेढ़ लाख करोड़ का बजट पेश किया है। पूंजी निवेश के माध्यम से हरियाणा की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना इस बजट की खास बात है। इसमें मध्यावधि परिव्यय ढांचे (एमटीइएफ) के रूप में 8585 करोड़ रुपये की मुक्त निधि का आवंटन किया गया है। विकास की गति को तेज करने में आर्बिटल रेल कारिडोर, बुनियादी ढांचा निवेश न्याय और रियल एस्टेट निवेश न्यायों के माध्यम से परिसंपत्ति मुद्रीकरण, मानेसर के निकट ग्लोबल सिटी और जिला सोनीपत के गन्नौर में इंटरनेशनल बागवानी मंडी हरियाणा सरकार की ऐसी परियोजनाएं हैं, जिन पर सरकार का पूरा फोकस बना हुआ है। दिल्ली-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन 350 KM प्रतिघंटा की स्पीड से राजस्थान में 7 जिलों के इन 8 स्टेशनों से गुजरेगी हरियाणा सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान 8585 करोड़ रुपये की उधारी क्षमता का उपयोग नहीं किया था। इसका अर्थ यह हुआ कि राज्य सरकार अपनी उधार लेने की सीमा को राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम में मूल प्रविधानों के आसपास बनाए रखने में तो कामयाब रही, लेकिन वह चाहती तो इस उधारी का इस्तेमाल कर सकती थी। अब जबकि केंद्र सरकार ने अनुमति दी है कि उधार लेने की सीमा को आगे बढ़ाया जा सकता है, तब राज्य सरकार ने 8585 करोड़ रुपये तो हासिल किए ही, साथ ही कोरोना से पैदा हुई अन्य परिस्थितियों में बदलाव के लिए अलग-अलग फेज में कुल मिलाकर 12 हजार करोड़ रुपये की उधारी ली, जो उधार लेने की रेड लाइन से काफी नीचे है।
हरियाणा सरकार ने इन प्राप्तियों का उपयोग लघु अवधि परिव्यय फ्रेमवर्क आरक्षित निधि के लिए करने का खाका तैयार किया है। राज्य सरकार हरियाणा के सभी सात हजार गांवों को 24 घंटे बिजली देने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इनमें से साढ़े पांच हजार गांवों में 24 घंटे बिजली दी जा चुकी है। जिला अस्पतालों को 200 बिस्तर तक अपग्रेड करना, जैव सुरक्षा प्रयोगशालाएं, पिंजौर में सेब मंडी, सोनीपत के सेरसा में मसाला मंडी, सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के साथ-साथ विशिष्ट परियोजनाएं मसलन आर्बिटल रेल कारिडोर, दिल्ली व करनाल के बीच हाई स्पीड रेल कनेक्टिविटी, गुरुग्राम के आसपास अन्य क्षेत्रों में मेटरो नेटवर्क का विस्तार भी इन विकास परियोजनाओं का बड़ा हिस्सा हैं। परिवार पहचान पत्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हरियाणा सरकार राज्य के सभी 70 लाख परिवारों के परिवार पहचान पत्र बना रही है। यह आधार कार्ड और राशनकार्ड से पूरी तरह अलग है। इसका डाटा सुरक्षित रहेगा। इसके लिए दो दिन पहले ही कानून बना दिया गया है। परिवार पहचान पत्र में दी गई पूरे परिवार की सूचनाओं के आधार पर सरकार हर व्यक्ति को उसकी जरूरत के हिसाब से योजनाओं का लाभ देगी और गरीब व्यक्ति को सीधे सरकारी योजनाओं से जोड़ेगी। केंद्र के सहयोग से विकास के रास्ते पर बढ़ रहे कदम हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि हरियाणा को केंद्र सरकार ने साल 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटे की सीमा को राज्य सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत तक कर दिया है। संकट की इस घड़ी में विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन से हम 40 हजार 661 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्राप्त ऋण राशि को लगभग 30 हजार करोड़ रुपये के बाजार उधार तक सीमित रखने में सफल रहे। उन्होंने कहा कि, अब जबकि केंद्र से हमें उधारी मिल रही है और कोविड काल में जिस तरह से राजस्व आना कम हुआ मगर खर्चे बढ़े, उसके मद्देनजर हमने उस उधारी का इस्तेमाल करते हुए हरियाणा को फिर से विकास की पटरी पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसके बावजूद 2020-21 का राजकोषीय घाटा तीन प्रतिशत से कम रहा और 2021-22 के लिए यह सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 3.83 प्रतिशत अनुमानित है, जो कि 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित 4.0 प्रतिशत की सीमा के अंदर है।