जजपा का अपने विधायकों से सरकार के पक्ष में मतदान करने का अनुरोध, निर्दलीय भी साथ
भाजपा, जजपा, कांग्रेस का विधायकों को व्हिप जारी, बुधवार को सदन में रहना होगा मौजूद बजट सत्र में हिस्सा लेने जाते हरियाणा के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम। हरियाणा विधानसभा के सदन में सरकार के खिलाफ बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने इसे मंजूरी देते हुए चर्चा शुरू करा दी है। पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अविश्वास प्रस्ताव को पढ़ना शुरू किया। इस दौरान प्रस्ताव लाने सभी विधायकों ने सदन में खड़े होकर अपना समर्थन जाहिर किया। किसान आंदोलन का जिक्र
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अविश्वास प्रस्ताव पर किसान आंदोलन का उल्लेख किया। उन्होंने दिल्ली सीमा पर जान गंवाने वाले आंदोलनरत किसानों का जिक्र किया। हुड्डा ने कहा कि शोक प्रस्ताव में मृतक किसानों के नामों को शामिल क्यों नहीं किया गया। हरियाणा के बजट सत्र के चौथे दिन सरकार के खिलाफ आज विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाएगा। हालांकि इसे लेकर हरियाणा सरकार बिल्कुल सहज है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि हम विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव को हराएंगे। शाह आलम के शासन से की हरियाणा सरकार की तुलना
हुड्डा ने आगे कहा कि सीमा पर बैठीं महिलाएं मुख्यमंत्री को दिखाई क्यों नहीं देतीं। यह सरकार बहुमत की सरकार नहीं है। इसे जनता का विश्वास नहीं मिला है। किसी दूसरे दल की बैसाखी से सत्ता मे आई है। इस दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा की गठबंधन सरकार की तुलना शाह आलम के शासन से की। भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार के मंत्री और विधायक गांवों में नहीं जा पा रहे हैं। हालात यह हैं कि सीएम को पंचकूला में 26 जनवरी को झंडा फहराना पड़ा। लोहे की लाठियों से किसानों के सिर नहीं फूटने वाले : हुड्डा
हुड्डा ने आगे कहा कि दिल्ली बॉर्डर पर एक राज्य के नहीं बल्कि पूरे देश के किसान बैठे हैं। किसानों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया। लोहे की लाठियां बरसाईं गईं। सड़कों पर कीलें लगाई गईं। लेकिन किसानों के सिर लोहे के लाठियों से फूटने वाले नहीं है। उन्होंने भाजपा और जजपा के घोषणा पत्र में किसानों को लेकर किए गए वादों का जिक्र कर सरकार को घेरा और कहा कि सरकार ने न तो स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की, न ही किसानों को बोनस दिया। इस दौरान कांग्रेस के विधायकों ने शेम- शेम के नारे लगाए। हरियाणा विधानसभा में बुधवार को कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद मतदान होगा। कांग्रेस की अपील है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में विधायक गठबंधन सरकार के खिलाफ खड़े हों। विधायकों के आंकड़ों के हिसाब से गठबंधन सरकार सहज स्थिति में है और निर्दलीय भी साथ हैं। भाजपा, जजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने विधायकों को व्हिप भी जारी किया है। व्हिप में सभी दलों ने विधायकों को कार्यवाही चलने से खत्म होने तक सदन में रहने को कहा है। भाजपा ने अपने विधायकों को कहा है कि सदन के नेता की अनुमति बिना कोई सदन नहीं छोड़ेगा। सदन में महत्वपूर्ण विधायी कार्य होने हैं। वोटिंग के दौरान सभी को सरकार के पक्ष में वोट करना है। जजपा ने भी अपने विधायकों को सदन न छोड़ने की हिदायत दी है, साथ ही अविश्वास प्रस्ताव के विरुद्ध वोट करने को कहा है। बत्रा ने कहा कि कोई भी विधायक नेता प्रतिपक्ष की मंजूरी के बिना सदन से बाहर नहीं जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में सभी मतदान करेंगे। सुबह दस बजे सभी सदन में उपस्थित हों। जजपा के दो विधायकों के अलग ही सुर
जजपा के विधायक देवेंद्र बबली ने गठबंधन को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि जननायक जनता पार्टी (जजपा) को गठबंधन तोड़ देना चाहिए। हालात ऐसे हैं कि गांवों में उन्हें घुसने नहीं दिया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री उचाना और मुख्यमंत्री जींद में रैली या जनसभा करके देख लें। अगर गांवों में जाना है तो सिर में हेलमेट और कपड़े लोहे के पहनकर जाना होगा। जजपा विधायक जोगी राम सिहाग ने कहा कि वह किसानों के मुद्दे पर इस्तीफा देने को आज भी तैयार हैं।अभी विधानसभा में 88 सदस्य हैं। अभय चौटाला के इस्तीफे से ऐलनाबाद सीट खाली हुई है। कालका के विधायक प्रदीप चौधरी को एक मामले में तीन साल की सजा होने पर अयोग्य घोषित किया गया है। इससे कालका सीट भी खाली है। ऐसे में गठबंधन सरकार को बहुमत के लिए 45 का आंकड़ा ही चाहिए। ऐसे समझें विधायकों का आंकड़ा
भाजपा के 40, जजपा के 10, कांग्रेस के 30, निर्दलीय 7 और एक हलोपा विधायक हैं। दो सीट खाली हैं। भाजपा, जजपा व निर्दलीय विधायकों में बलराज कुंडू को छोड़ दिया जाए तो भी सरकार केपास विधायकों का आंकड़ा 56 बनता है। हलोपा विधायक गोपाल कांडा ने भी सरकार को समर्थन का पत्र भेजा है। ऐसे में गिनती 57 हो जाती है, लेकिन कांडा मतदान के दौरान मौजूद नहीं रहेंगे। ऐसे में 56 विधायकों में कितने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करते हैं और कितने पक्ष में जाते हैं, ये देखना होगा। हालांकि, जजपा व निर्दलीय विधायकों ने साफ किया है कि वे कृषि कानूनों के तो खिलाफ हैं, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं करेंगे। कांग्रेस को उम्मीद है कि किसानों के दबाव को देखते हुए कुछ निर्दलीय व सत्ता पक्ष के विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं।