जिला पार्षद संजय बड़वासनी ने कहा कि सरकार की तरफ से अधिकार नहीं मिलने के कारण वह काम नहीं करा पा रहे हैं। सरकार की तरफ से पार्षदों को कोई ग्रांट नहीं दी जा रही। जिसकी वजह से लोगों की समस्याओं का निस्तारण तक नहीं कर पा रहे हैं। खुद का बजट न होने के कारण गांवों में विकास कार्य करवाने में पार्षद सक्षम नहीं है।
उनकी मांग है कि सांसद व विधायक की तर्ज पर जिला पार्षदों का 50 लाख रुपये का बजट प्रतिवर्ष दिया जाए। पंचायत में काम बांटने के कारण जिला परिषद की शक्तियां कम कर दी गई है। उनको काम करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, जिससे वह विकास कार्य अपनी मर्जी से करवा सके। जिला परियोजना समिति का गठन किया जाए और पेंशन की व्यवस्था की जाए। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो प्रदेशभर के जिला पार्षद मुख्यमंत्री आवास पर धरना शुरू कर देंगे।
इसके बाद जिला पार्षद अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय परिसर में डीआरडीए हॉल के पहुंचे और वहां पर पार्षदों ने एकत्रित होकर नारेबाजी करना शुरू कर दिया। साथ ही जिला परिषद की बैठक का बहिष्कार किया। इस पर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डाॅ. सुशील मलिक ने बैठक स्थगित कर दी।