एक ओर मांग ज्यादा होने के कारण इस बार बासमती की सभी किस्मों के दामों में रोजाना नई ऊंचाई दर्ज की जा रही है। बढ़ते दामों के चलते किसानों की पौ बारह हो रही है। वहीं पंजाब में बासमती पर मिलर के लिए कोई मार्केट फीस नहीं होने के कारण और तेज भाव हैं जिसके कारण क्षेत्र की सबसे बड़ी अम्बाला शहर मंडी में बासमती की आवक प्रभावित हो कर रह गई है। कई किसान तो अपनी बासमती पंजाब की मंडी में बचने जा रहे हैं।
क्षेत्र की सबसे बड़ी अम्बाला शहर की मंडी में इस बार बासमती की आवक काफी प्रभावित हो रही है। निर्यातकों के एजेंट अजय गुप्ता की माने तो मंडी में करीब 3000 बोरी रोज बासमती धान सभी किस्मों की आ रही हैं जबकि कहीं ज्यादा आने की संभावना थी। पूछने पर उन्होंने बताया कि इसका कारण सरकार की गलत नीतियां हैं। हरियाणा में बासमती धान की खरीद पर कुल मिलाकर 4 प्रतिशत टैक्स लगता है लेकिन पंजाब में मिलरों के लिए ऐसा कोई टैक्स नहीं है। यही कारण है कि वहां बासमती के भाव भी ज्यादा मिल रहे हैं। इसी कारण बड़े किसान पंजाब की मंडियों में बासमती बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं। दूसरे पंजाब की पीआर पर हरियाणा में बिकने पर लगी पाबंदी के कारण यहां आने वाले किसान अपनी बासमती भी अब पंजाब बेचने लगे हैं। उनका कहना है कि यदि सरकार ने अपनी नीतियां व्यापारी के हित में नहीं बनाईं तो आने वाले समय में हरियाणा में अनाज मंडियों का वजूद ही खतरे में पड़ जाएगा।
दरअसल आज बासमती 30 नंबर अम्बाला शहर की मंडी में रिकार्ड उच्च भाव 64 सौ रुपये प्रति क्विंटल तक जा बिकी जो गत वर्ष मात्र 52 रुपये थी। आढ़तियों की माने तो आज आई 30 नंबर मध्यम किस्म की होने के कारण इस भाव बिकी कहीं अच्छी किस्म होती तो इसके भाव 4 से 500 रुपये और बढ़ सकते थे। इसी प्रकार बासमती की अन्य किस्मों में 1692 और 1509 के भाव इस सीजन में रिकार्ड 3700 रुपये पहुंच चुके हैं हालांकि यही भाव गत वर्ष करीब 3000 रुपये प्रति क्विंटल थे। इसी प्रकार 1121 किस्म की बासमती इस वर्ष आज 4671 रुपये तक जा पहुंची है जो गत वर्ष 3900 रुपये तक बिकी थी। एक अन्य 1718 किस्म की बासमती के भाव भी 4350 रुपये तक जा पहुंचे हैं जो गत वर्ष 4000 रुपये तक थे। यह भाव निर्यातकों की ओर से लगाए जा रहे हैं जबकि निजी इस्तेमाल के लिए दाम और अधिक हैं।
दाम रिकार्ड हाई पहुंचने के बारे पूछने पर एक अन्य आढ़ती राजेंद्र बंसल ने बताया कि पहले निर्यात नीति के कारण एक्पोर्टर्स बासमती नहीं खरीद रहे थे जिसके चलते इसी सीजन में भी बासमती की सभी किस्मों के दाम कम हो गए थे। उसके बाद जब नीति का विरोध हुआ तो सरकार ने राहत दी तब जाकर खरीद प्रारंभ हुई।
पहले सप्लाई लाइन बिल्कुल बंद पड़ी थी और अब अपने आर्डरों के भुगतान के लिए निर्यातकों को मांग के अनुसार आपूर्ति भी करनी है, इसलिए मांग और आपूर्ति का अंतर होने के कारण फिलहाल भावों में तेजी बनी हुई है। धान के अधिक दाम मिलने से इस साल किसानों की बल्ले-बल्ले हो रही है। भाव अधिक मिलने से किसानों में चेहरे पर खुशी का माहौल है। पहले सरकार के निर्णय से किसानों को साीधा आर्थिक नुकसान हो रहा था।