वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतें कम होने की वजह से भारत से इसके निर्यात में गिरावट आई।

Parmod Kumar

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वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतें 17 अमेरिकी सेंट प्रति पाउंड (₹28,150 प्रति टन) से नीचे आ गई हैं. एमईआईआर कमोडिटीज इंडिया के प्रबंध निदेशक राहिल शेख ने बिजनेस लाइन से कहा कि “भारत व्यावहारिक रूप से चीनी बाजार से बाहर है, क्योंकि वैश्विक बाजार में कीमतें लगभग 17 सेंट तक गिर गई हैं. एक बार जब कीमतें 18 सेंट (₹29,800 प्रति टन) से नीचे गिर जाती हैं, तो हम निर्यात बाजार में कोई प्रभाव नहीं डाल सकते हैं.” ऑल-इंडिया शुगर ट्रेडर्स एसोसिएशन (AISTA) के अध्यक्ष प्रफुल विठ्ठलानी ने कहा “वर्तमान में केवल कुछ छोटी मात्रा में चीनी का निर्यात किया जाता है. ये खाड़ी और कुछ एशियाई देशों में जा रहे हैं.”

अतिरिक्त आपूर्ति से कमजोर हुई मांग

बुधवार को अक्टूबर डिलीवरी के लिए चीनी नंबर 11 अनुबंध (कच्ची चीनी) इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर 16.93 सेंट प्रति पाउंड (₹28,025 प्रति टन) पर समाप्त हुआ. जबकि लंदन में अगस्त डिलीवरी के लिए सफेद चीनी 425.30 डॉलर (₹31,700) प्रति टन रहा. अतिरिक्त आपूर्ति और कमजोर मांग की चिंताओं के कारण पिछले कुछ हफ्तों में चीनी की कीमतें दक्षिण की ओर बढ़ी हैं.

Sugar

इसके अलावा, ब्राजील के प्रमुख केंद्र-दक्षिण क्षेत्र में चीनी उत्पादन में पिछले महीने सुधार हुआ, जिससे कीमतों पर दबाव पड़ा है. दुनिया के शीर्ष उत्पादक ब्राजील से आपूर्ति को लेकर अनिश्चितता और उत्पादन बढ़ने के अनुमान के कारण फरवरी में कच्ची चीनी की कीमतें चार साल के उच्च स्तर 18.9 सेंट प्रति पाउंड (₹31,300 प्रति टन) पर पहुंच गई थीं.

ब्राजील पर निर्भर चीनी का वैश्विक बाजार

एक चीनी व्यापारी ने कहा “विश्व बाजार आज चीनी के लिए ब्राजील पर निर्भर है. अगर दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र में कुछ गलत होता है, तो इसका असर भारत पर दिखने लगता है. इस साल दिसंबर से मई के दौरान, भारत ने इस सीजन (अक्टूबर 2020-सितंबर 2021) में 4.75 मिलियन टन (MT) चीनी का निर्यात करने के लिए वैश्विक बाजार से ब्राजील की अनुपस्थिति का पूरा फायदा उठाया. निर्यात की गई मात्रा निर्यात के लिए अनुबंधित 5.9 मिलियन टन में से है.

इस वजह से बढ़ा निर्यात संकट

एमईआईआर कमोडिटीज शेख ने कहा कि सफेद चीनी के निर्यात में भी भारत समस्याओं का सामना कर रहा है. हम वहां की आंतरिक समस्याओं के कारण अफगानिस्तान नहीं जा पा रहे हैं, जबकि श्रीलंका ने चीनी आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. श्रीलंका ने अपने विदेशी मुद्रा संकट के प्रबंधन के लिए चीनी के आयात पर प्रतिबंध लगाया है.

आने वाले समय में बढ़ सकता है निर्यात

शेख ने कहा, “छोटी मात्रा में चीनी का निर्यात सुडान और सीरिया में हो रहा है. भारतीय मिलें कच्ची चीनी 420-430 डॉलर (₹31,300-32,050) प्रति टन और सफेद चीनी 430 डॉलर पर पेश कर सकेंगी. ये ब्राजील की घोषित कीमतों से अधिक है. एमईआईआर कमोडिटीज के अधिकारी ने कहा, “हमारा ऑफर न्यूयॉर्क में कच्ची चीनी की कीमतों से 70 सेंट अधिक है.”

विट्ठलनी ने कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. इसका छह मिलियन टन चीनी निर्यात लक्ष्य से ऊपर होगा और खुले सामान्य लाइसेंस के तहत 0.5 मिलियन टन अतिरिक्त निर्यात कर सकता है. शेख ने कहा कि कुल निर्यात लगभग 6.8 मिलियन टन हो सकता है.

इस सीजन में, चीनी निर्यात को केंद्र द्वारा विस्तारित 3,500 करोड़ के सहायता पैकेज द्वारा सुगम बनाया गया है. इससे निर्यात की जाने वाली प्रत्येक टन चीनी पर 6,000 रुपये का प्रोत्साहन मिलेगा. हालांकि, यह प्रोत्साहन 20 मई तक निर्यात के लिए अनुबंधित 5.7 मिलियन टन चीनी के लिए ही उपलब्ध होगा. शेष 0.3 मिलियन टन को एक सरकारी अधिसूचना के अनुसार, 4000 रुपये प्रति टन का प्रोत्साहन दिया जाएगा.

गन्ना किसानों का बकाया

Sugarcane

चीनी निर्यात के लिए सरकारी सहायता चीनी मिलों के लिए आवश्यक है. ताकी किसानों को उनके द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य का भुगतान हो सके. इस सीजन में चीनी मिलों के किसानों का बकाया 20,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की खबर है.