372 जांच अधिकारियों के निलंबन से प्रदेशवासियों को अनिल विज में नजर आए नायक फिल्म के अनिल कपूर

lalita soni

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the people of the state saw anil vij as the hero of the film anil kapoor

अगर फिल्म नायक में एक दिन के मुख्यमंत्री बने अनिल कपूर की तुलना हरियाणा के गृह-स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से की जाए तो लगभग सभी बातें समानांतर नजर आती है…

फिल्म ‘नायक’ के अभिनेता अनिल कपूर, किरदार एक बेहद ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ नेता का, जिसमें एक दिन के मुख्यमंत्री अनिल कपूर को ऐसे-ऐसे जबरदस्त फैसले लेते दिखाया गया है कि पूरा प्रदेश उनका दीवाना हो उठता है। क्या युवा, क्या महिलाएं, क्या प्रदेश के बुजुर्ग-बच्चे, हर किसी की जुबान पर अनिल कपूर मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसंद बन जाता है। फिल्म में अनिल कपूर का वह किरदार जिसके नाम से अपराधी थरथराते हैं और भ्रष्टाचारी कांपते हैं। गलत कार्य करने वाले लापरवाह, भ्रष्ट, अधिकारी कर्मचारियों की एक बड़ी संख्या को एकदम से सस्पेंड करने का एक दबंग फैसला अनिल कपूर को लेते दर्शाया गया है। लेकिन वह मात्र एक फिल्म थी, जिसमें अनिल कपूर केवल एक अभिनेता का रोल अदा कर रहे थे। जबकि असल हकीकत में इस प्रकार के फैसले लेना साधारण या आसान बात कतई नहीं हो सकती। क्योंकि राजनीति में अपने वोटो की लाभ हानि, पार्टी का दबाव और विरोधियों-मीडिया के हाथ मुद्दा ना लगे इन सभी बातों की ओर ध्यान देते हुए फूंक फूंक कर कदम रखना अनिवार्य होता है।

गृहमंत्री के फैसले से न केवल पुलिस बल्कि हर विभाग में है ख़ौफ और चर्चा 

अगर फिल्म नायक में एक दिन के मुख्यमंत्री बने अनिल कपूर की तुलना हरियाणा के गृह-स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से की जाए तो लगभग सभी बातें समानांतर नजर आती है। वही जन समर्पित भावना, वही कर्तव्यनिष्ठा, उतना ही दबंग रवैया, उतनी ही मजबूत फैसले लेने की क्षमता, वही मुख्यमंत्री के रूप में पहली पसंद। फर्क सिर्फ इतना है कि उसमें ऐसे फैसले एक दिन लिए गए और यहां हकीकत में अनिल विज ऐसे फैसले रोज लेते हैं। प्रदेश के गृह स्वास्थ्य मंत्री एक कैबिनेट मंत्री हैं जिनकी डिसीजन लेने का एक सीमित दायरा है जबकि फिल्म में अनिल कपूर को एक मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तुत किया गया है। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज द्वारा हाल ही में पुलिस विभाग के 372 जांच अधिकारियों को एकाएक सस्पेंड करने का फैसला बेहद असाधारण फैसला है। आज तक हरियाणा के इतिहास में किसी मुख्यमंत्री तक ने भी इतना बड़ा डिसीजन लेने की हिम्मत नहीं दिखाई है। गृहमंत्री के फैसले से न केवल पुलिस प्रशासन बल्कि अन्य विभागों में भी ख़ौफ भरी चर्चा बनी हुई है।

पत्थर पर लकीर साबित हुआ है विज का हर फैसला

प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने मंगलवार को इन आदेशों से संबंधित पत्र पुलिस महानिदेशक को लिखा था। वीरवार को प्रदेश के पुलिस महानिदेशक समेत सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों से गृहमंत्री ने स्वयं वायरलेस पर बात की और शाम तक हर जिले के सस्पेंड किए गए पुलिस जांच अधिकारियों की लिस्ट देने के आदेश जारी कर दिए हैं। किस-किस जिले में कितने-कितने और कौन-कौन जांच अधिकारी हैं सब की लिस्ट बनाकर भेजने के आदेश गृहमंत्री ने दिए हैं। हालांकि पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी कर्मचारियों में चर्चा के दौरान इस फैसले के खिलाफ नाराजगी भी दिखाई दी, लेकिन प्रदेश के गृहमंत्री का फैसला हमेशा पत्थर की लकीर माना जाता है। कभी अपने असूलों से समझौता न करने वाले अनिल विज वास्तविक जीवन में एक नायक से कम नहीं है। निस्वार्थ और ईमानदार राजनीति करने वाले अनिल विज का हर फैसला जनता के हितों को ध्यान में रखने वाला होता है। अनिल विज ने वायरलेस पर पुलिस अधिकारियों को यह भी आदेश जारी किए हैं कि इनमें से जो लापरवाह जांच अधिकारी सेवनिर्वित भी हो चुके हैं उन्हें मिलने वाले सभी सरकारी बेनिफिट्स पर रोक लगा दी जाए।

शिकायतकर्ताओं को बेवजह इधर से उधर भटकाने की आदत थी इन जांच अधिकारियों की

दरअसल निलंबित किए गए इन 372 जांच अधिकारी (आईओ) में गुरुग्राम में 60, फरीदाबाद 32, पंचकूला 10, अम्बाला 30, यमुनानगर 57, करनाल 31, पानीपत 3, हिसार 14, सिरसा 66, जींद 24, रेवाड़ी 5, रोहतक 31 और सोनीपत में 9 आईओ है। इन्हें ” दर्ज एफआईआर के शीघ्र निस्तारण के लिए कई बार कहा गया था। पिछले महीने, विज ने आदेश देकर सभी आईओ से स्पष्टीकरण मांगने के लिए पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा था। यह वह जांच अधिकारी है जिन्होंने एक वर्ष में एफआईआर का निपटारा नहीं किया है। विज के आदेशों के बावजूद संतोषजनक कार्य न करने वाले यह 372 आईओ  हैं जिन्होंने संतोषजनक कारण भी नहीं बताया था। इन्हें शिकायतकर्ताओं को कार्रवाई के लिए एक जगह से दूसरे जगह तक भटकने पर मजबूर करने की आदत थी। इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए अनिल विज ने इस पर बड़ी कार्रवाई की है।