पंजाब और हरियाणा में किसान आंदोलन के दौरान जमकर ट्रैक्टरों की खरीददारी हुई, जानिए दिल्ली पुलिस का दावा।

Parmod Kumar

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दिल्ली पुलिस ने केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के विरोध के ‘सुनियोजित साजिश’ के तौर पर नवंबर 2020-जनवरी 2021 के दौरान पंजाब और हरियाणा में ट्रैक्टर बिक्री में असामान्य उछाल को अपनी चार्जशीट में आधार बनाया है. हालांकि आंकड़े इसकी भी तस्दीक करते हैं कि बिक्री में उछाल केवल इन्हीं दो राज्यों में नहीं, वरन पूरे देश में देखा गया है. जबकि यह भी किसान आंदोलन शुरू होने से बहुत पहले से है.

इंडियन एक्‍सप्रेस के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने बताया है कि पंजाब में ट्रैक्टर बिक्री में वृद्धि नवंबर 2020 में 43.53 प्रतिशत, दिसंबर 2020 में 94.30 प्रतिशत और जनवरी 2021 में 85.13 प्रतिशत रही. जबकि हरियाणा में ये आंकड़े क्रमश: 31.81 प्रतिशत, 50.32 प्रतिशत और 48 प्रतिशत रहे, लेकिन ट्रैक्टर एंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन (टीएमए) के जिन आंकड़ों को दिल्ली पुलिस ने आधार बनाया है, वही आंकड़े दिखाते हैं कि पूरे देश में ट्रैक्टर की बिक्री बढ़ी है और यह औसत उछाल नवंबर 2020 में 51.25 प्रतिशत, दिसंबर 2021 में 43.09 प्रतिशत और जनवरी 2021 में 46.75 प्रतिशत था.

इतना ही नहीं, बिक्री में उछाल मई 2020 में शुरू हुआ था अर्थात विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन शुरू होने से बहुत पहले और इस साल अप्रैल तक जारी रहा है. गौरतलब है कि नवंबर 2020 से फरवरी 2021 तक विरोध अपने चरम पर था.

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क्‍या किसान आंदोलन से है कोई संबंध?
उच्च ट्रैक्टर बिक्री वृद्धि का विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है. यह इस तथ्य से भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पंजाब और हरियाणा में ट्रैक्टर की बिक्री पूरे देश में हुई बिक्री का बमुश्किल 7 प्रतिशत हिस्सा है. 2019-20 के दौरान बेची गई कुल 8.8 लाख इकाइयों में से पंजाब की हिस्सेदारी सिर्फ 21,399 और हरियाणा की 38,705 थी. ये आंकड़े उत्तर प्रदेश (1.21 लाख), मध्य प्रदेश (87,621), राजस्थान (68,563), महाराष्ट्र (61,871), गुजरात (55,411) और बिहार (43,246) से काफी पीछे थे. यही नहीं, नवंबर 2020 और जनवरी 2021 के बीच की कथित साजिश की अवधि के दौरान भी पंजाब और हरियाणा में केवल 15,670 ट्रैक्टर बेचे गए जो पूरे देश में हुई 2,21,924 ट्रैक्टरों की बिक्री की तुलना में केवल 7 प्रतिशत है.

ट्रैक्टर बिक्री के तीन कारण हो सकते हैं
>>पहला कारण 2020 के रबी सीजन (अप्रैल-जून), खरीफ 2020 (अक्टूबर-दिसंबर) और रबी 2021 (अप्रैल-जून) के दौरान अच्छे मानसून की वजह से बैक-टू-बैक बम्पर फसल का उत्पादन हुआ. दरअसल, वित्त वर्ष 2020-21 में कृषि, मत्स्य पालन और वानिकी ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जिसने 3.6% की सकारात्मक वृद्धि दर हासिल की.

>>उच्च ट्रैक्टर बिक्री का दूसरा संभावित कारण यह है कि कृषि संबंधी सभी गतिविधियों को कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर में सरकारी लॉकडाउन प्रतिबंधों से छूट दी गई थी. इसलिए किसान अपने उत्पादन के साथ-साथ अपने रिकॉर्ड खाद्यान्न और अन्य फसलों की कटाई के लिए उत्कृष्ट मानसूनी बारिश का लाभ उठा सकें.

>>तीसरा कारण सरकारी खरीद था. लॉकडाउन के बाद की अवधि के दौरान, सरकारी एजेंसियों ने न केवल गेहूं और धान बल्कि कपास, रेपसीड-सरसों और दालों की भी रिकॉर्ड / भारी मात्रा में खरीदारी की.

इन तीनों कारकों के परिणामस्वरूप उच्च कृषि आय हुई और यह संभावना है कि अर्जित धन अन्य चीजों के साथ ट्रैक्टर खरीदने पर भी खर्च किया गया था. हालांकि ऐसा केवल पंजाब और हरियाणा में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी हुआ जहां शायद ही कोई किसान विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहा है.