कोरोना फैले या लॉकडाउन हो। आंदोलनकारी किसान बॉर्डर क्षेत्र से नहीं हटेंगे। किसानों को लामबंद करने के लिए गतिविधियां जारी रहेंगी। किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि अगर सरकार किसानों के प्रति चिंतित होती तो ऐसी स्थिति आती ही नहीं। उन्होंने कहा कि दिल्ली बॉर्डर क्षेत्र में बैठे किसानों के बीच कोरोना का कोई रोगी नहीं है। कोरोना का डर फैलाया जा रहा है, ताकि आंदोलन खत्म हो सके।
किसान नेता राकेश टिकैत ने एनबीटी से बातचीत करते हुए कहा, ‘यह शाहीन बाग का आंदोलन नहीं है, जिसे कोरोना का डर दिखा कर हटा दिया जाए। किसान इस जंग में डटे हुए हैं और डटे रहेंगे।’ सरकार रैलियों की अनुमति नहीं देगी, तब भी वे होंगी। उन्होंने कहा, आंदोलन को बदनाम कराने के लिए सरकार ने लाल किले की घटना कराई थी। लाल किले के मामले को आंदोलन से जोड़ना गलत है। वह एक अलग मामला है।
उन्होंने कहा कृषि में सुधार को लेकर आंदोलन लगातार होते रहे हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि पहले की सरकारें हमारी मांगें सुनती थीं। विचार होता था और स्थितियां सुधरती थीं। अब ऐसा नहीं है। यह सरकार लोकतांत्रिक नहीं, बल्कि पेशेवर तरीका अपनाए हुए हैं। सरकार में किसान पृष्ठभूमि के नेताओं की संख्या ना के बराबर है।
संयुक्त किसान मोर्चा गाजीपुर बॉर्डर के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने साफ किया कि अगर किसानों के बीच कोरोना फैलने का सरकार को डर है, तो वे किसानों का टीकाकरण करें। इस संबंध में सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं हुई है, जबकि किसान तैयार हैं। सरकार डरा रही है।