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महाकुंभ 2025: सनातन संस्कृति का अद्भुत संगम
पहला अमृत स्नान: श्रद्धालुओं और साधु-संतों का महासंगम
महाकुंभ 2025 के पहले अमृत स्नान का आयोजन मकर संक्रांति के अवसर पर त्रिवेणी संगम पर हुआ। इस पावन अवसर पर देशभर के श्रद्धालु, साधु-संत, और कथावाचक यहां पहुंचे। जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी ने भी इस अद्भुत स्नान में भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए।
स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा, “यह अमृत स्नान सनातन संस्कृति को अमर कर देने वाला है। कुंभ में आने से यह अनुभव हुआ कि सनातन धर्म के मूल स्वरूप को नई ऊंचाई मिल रही है। सरकार की व्यवस्थाएं अत्यंत प्रशंसनीय हैं, जिन्होंने इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित किया और सभी को इस पुण्य अवसर का हिस्सा बनने का अवसर दिया।”
सनातन संस्कृति का गौरव
महाकुंभ 2025 ने सनातन संस्कृति के प्रति नई जागरूकता पैदा की है। जया किशोरी ने कहा, “हमारी संस्कृति और धर्म को उजागर करना आज के समय की आवश्यकता है। जिस दिन हम अपनी संस्कृति को गर्व के साथ प्रस्तुत करेंगे, उसी दिन बच्चे और युवा इसकी ओर आकर्षित होंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “सनातन संस्कृति मानवता की संस्कृति है। यह किसी को कष्ट नहीं देती और सभी को अपने-अपने ढंग से पूजा और भक्ति करने का अधिकार देती है। यह वही यात्रा है जो सबको जोड़ती है और देशभक्ति का संदेश देती है।”
जनसैलाब और आध्यात्मिक उत्साह
मकर संक्रांति के इस अवसर पर त्रिवेणी संगम पर विश्वभर से लाखों श्रद्धालु स्नान करने पहुंचे। जूना अखाड़ा ने इस आयोजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को साधुवाद दिया। “पूरे विश्व में ऐसा अद्भुत दृश्य पहली बार देखने को मिला है, जिसमें विभिन्न देशों के लोग एक साथ इस पुण्य अवसर पर शामिल हुए हैं,” उन्होंने कहा।
युवा पीढ़ी और भारतीय संस्कृति
जया किशोरी ने अपनी कथाओं का संदर्भ देते हुए कहा, “हमारी नई पीढ़ी पाश्चात्य संस्कृति की ओर इसलिए बढ़ती है क्योंकि हम अपनी संस्कृति को उजागर करने में पिछड़ जाते हैं। हमें अपनी संस्कृति, धर्म और संस्कारों को इस प्रकार प्रस्तुत करना चाहिए कि युवा पीढ़ी स्वाभाविक रूप से इससे जुड़ जाए।”
समाज और धर्म का संदेश
इस महाकुंभ के माध्यम से सनातन संस्कृति ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि यह मानवता, भक्ति, और समानता का प्रतीक है। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिकता का उत्सव है, बल्कि यह पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति की महत्ता से परिचित कराने का माध्यम भी है।
समापन संदेश
महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान भारतीय संस्कृति के गौरव का प्रतीक बनकर उभरा है। इस आयोजन ने न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद दिया, बल्कि सनातन धर्म के प्रति जागरूकता और गर्व को भी बढ़ावा दिया। मकर संक्रांति के इस पावन अवसर पर, देश और विश्व के सभी लोगों को शुभकामनाएं। जय श्री महाकाल!