विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि भारत में लगभग हर कोई अब जलवायु परिवर्तन के खतरों से प्रभावित है। उन्होंने इससे निपटने के लिए अंतर-मंत्रालयी और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के समन्वित प्रयासों की तुरंत जरूरत पर बल दिया। स्वामीनाथन ने महिलाओं और बच्चों को इन जलवायु-संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील बताया।
भारत की 80 फीसदी आबादी झेल रही जोखिम
भारत में जलवायु परिवर्तन के असर से वायु प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा है। साथ ही बाधित कृषि चक्रों से कुपोषण की समस्या भी पैदा हुई है। स्वामीनाथन ने कहा कि भारत की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी अब इन जोखिमों के खतरे से जूझ रही है। देश के शहरों में अर्पयाप्त आवास और सफाई और ग्रामीण इलाकों में बाढ़ और चरम मौसम के चलते खतरा बढ़ा है। डॉ. स्वामीनाथन ने सरकारों से सेहत पर फोकस करने की अपील की और हरित सार्जनिक परिवहन पर जोर दिया। इससे न केवल वायु प्रदूषण कम होगा बल्कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मत असर होगा।
महिलाओं और बच्चों को विशेष खतरा
अजरबैजान की राजधानी बाकू में वैश्विक जलवायु वार्ता सम्मेलन COP29 का आयोजन हो रहा है। इसी सम्मेलन से इतर एक बातचीत में डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत में व्यावहारिक रूप से हर कोई अब जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील है, चाहे बहुत ज्यादा गर्मी हो या फिर बैक्टीरिया या वायरस जनित बीमारियां। इससे निपटने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को खाना पकाने के लिए ठोस ईंधन पर निरंतर निर्भरता के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं।