टिकैत ने कहा, “हमें लगा था कि 370 बड़ा मसला है, जो सॉल्व हो गया. 370 हटा तो अच्छा लगा, लेकिन वहां के किसानों को, आम जनता को नुकसान हुआ है. हम वहां की जनता के साथ हैं. उन्होंने कहा, “उन्हें जो पहले ट्रांसपोर्ट पैकेज मिलता था, वो अभी भी मिलता रहे. उनका मकसद है कि पैकेज न हटे. पैकेज मिलता रहे बिजली और ट्रांसपोर्ट पर सब्सिडी मिलती रहे. 370 रहे या न रहे, पैकेज के जरिए जो सुविधा मिल रही थी वो मिलती रहे. जो पैकेज सरकार देती थी, वो जारी रहे. शनिवार को किसान देश के सभी राज्यों के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपेंगे. जब टिकैत से पूछा गया कि क्या वो दिल्ली के एलजी अनिल बैजल से मिलकर ज्ञापन देंगे? तो उन्होंने कहा, “मैं नहीं जाऊंगा, दिल्ली की यूनिट उनसे मिलने जाएगी. टिकैत ने आगे कहा, “सोचा नहीं था कि आजाद देश में किसानों को आंदोलन करना पड़ेगा. हमने दोबारा बातचीत के लिए सरकार को चिट्ठी लिखी थी, उनका जवाब आया कि कानून वापस नहीं होगा, बात कर लो.” उन्होंने कहा कि गतिरोध खत्म होता नजर नहीं आ रहा है।
पिछले 7 महीने से चल रहा है किसान आंदोलन
पिछले साल सितंबर में केंद्र सरकार ने खेती से जुड़े तीन कानून लागू किए थे. इन्हीं तीन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. किसान और सरकार के बीच 11 बार बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी. किसान चाहते हैं कि सरकार तीनों कानूनों को रद्द करे और MSP पर गारंटी का कानून लेकर आए. लेकिन सरकार का कहना है कि वो कानूनों को वापस नहीं ले सकती. अगर किसान चाहते हैं, तो उनके हिसाब से इसमें संशोधन किए जा सकते हैं।