किसान संगठन अपनी सियासी पार्टी बनाकर पंजाब के चुनावी रण में उतरेंगे।

Parmod Kumar

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किसान आंदोलन के ख़त्म होने के बाद किसानों ने घर वापसी की तो यह ख़बर आ रही थी विभन्न किसान संगठन अपनी सियासी पार्टी बनाकर पंजाब के चुनावी रण में उतरेंगे। लेकिन अब यह चर्चाएं ज़ोरों पर है कि जो किसान नेता अपनी-अपनी पार्टी बना कर चुनाव लड़ते, अब उन सबको साथ लेकर एक ही बैनर तले चुनाव लड़ाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए कृषि उत्पादक समूह और किसान संगठन सभी को मिलाकर एक पार्टी बनाने की कोशिश की जा रही है। इसके पीछे यह भी तर्क है कि अगर सब अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे तो वोटो ध्रुवीकरण होगा और यह भी संदेश जाएगा की सियासी फ़ायदे के लिए किसान संगठनों ने आंदोलन किया था। इसलिए ही आंदोलन के खत्म होते ही किसान अलग-अलग होकर चुनाव लड़ रहे हैं।

किसानों को एक बैनत तले लाने को कोशिश

किसानों को एक बैनर तले लाने के लिए किसानों ने भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी से संपर्क साधा है। ताकि कृषि से जुड़े सभी व्यक्ति को चढूनी एक बैनर तले लाते हुए चुनावी मैदान में उतार सकें। गुरनाम सिंब चढ़ूनी अगर सभी को एक साथ लाने में कामयाब हो गए तो पंजाब की राजनीति में दूसरे सियासी दलों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। क़यास लगाए जा रहे हैं कि किसानों का संगठन अगले विधानसभा चुनाव में किस्मत आज़माने के लिए सियासी रण में में उतर सकता है। जालंधर आलू उत्पादक संघ के महासचिव जसविंदर सिंह संघा ने कहा कि किसानों का एक दल होने और आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए कृषि समूहों के बीच लंबे समय से चर्चा चल रही है।

‘पंजाब की सियासत में बदलाव चाहिए’

जसविंदर सिंह संघा ने कहा कि पंजाब की सियासत में बदलाव के लिए अच्छे प्रतिनिधियों को लेने की कोशिश की जा रही है। वहीं उन्होंने कहा कि भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढुनी की तरफ़ से शुरू किए गए मिशन पंजाब को भी इसमें शामिल कर एक मजबूत निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा, अन्य कृषि समूहों और मजदूर संगठनों के यूनियन लीडर से सभी मुद्दे पर बात की जा रही है। जसविंदर संघा ने कहा कि खेत समूहों और किसानों के बीच आम धारणा यह है कि किसानों को अपने मंच का विस्तार करते हुए चुनावी रण में उतरना चाहिए। किसी भी सियासी दल के साथ गठबंधन करने के बजाय अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए, ताकि सियासत से दूर कृषि और किसानों के मुद्दे पर ध्यान दिया जा सके।

कृषि बिल वापसी के बाद बदले समीकरण

कृषि कानूनों की वापसे के बाद पंजाब के सियासी समीकरण बदलने लगे हैं। भारतीय जनता पार्टी कृषि बिल वापसी का सियासी माइलेज लेते हुए अपनी पार्टी को मज़बूत करने में जुट गई है। सूत्रों की मानें तो पंजाब में अब भारतीय जनता पार्टी के साथ विभिन्न जगह से किसान समूहों को लीड कर रहे किसान नेताओं को पार्टी में शामिल करने की क़वायद तेज़ की जा रही है। इसलिए अब किसान संगठन और कृषि उत्पादक समूहों के लोग एक बैनर तले आकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। किसान संगठनों का दावा है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी भी उनके साथ समझौता करना चाहती है, लेकिन ज़्यादातर संगठन किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करना चाहते हैं। ऐसे में अगर उन्होंने एक बैनर तले आकर चुनाव लड़ा तो पंजाब की राजनीति में एक अलग ट्विस्ट देखने को मिल सकता है।