पंजाब के बठिंडा में किसानों ने जलाई पराली।

Parmod Kumar

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पंजाब में बठिंडा जिले के देओन गांव में कल किसानों को पराली जलाते देखा गया. एक किसान ने कहा, ‘हम पराली नहीं जलाना चाहते हैं, लेकिन वैकल्पिक उपाय बहुत महंगे हैं और आर्थिक रूप से सही भी नहीं है. किसान ने कहा, हमारे पास पराली जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था क्योंकि राज्य सरकार ने हमें सितंबर में घोषित 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान नहीं की है. हमने अपने दम पर इस पराली को जलाने के लिए लगभग 5,000-6,000 रुपये खर्च किए हैं और पंजाब सरकार ने कोई मुआवजा नहीं दिया है.

पराली जलाने से हर साल पंजाब में तेजी से प्रदूषण बढ़ जाता है. फिलहाल पंजाब का AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) भी बढ़कर 169 हो गया है. हवा का ये स्तर बहुत ही खराब और गंभीर माना जाता है. इससे अस्थमा सहित कई तरह के मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बता दें (0 से 50 – अच्छा, 51 से 100 – संतोषजनक, 101 से 200 – मध्यम) PM10 – 197 (0 से 50 – अच्छा, 51 से 100 – संतोषजनक, 101 से 250 – मध्यम) PM2.5 – 69 (0 से 30 – अच्छा, 31 से 60 – संतोषजनक, 61 से 90 – मध्यम). 0-50 के बीच AQI अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब और 401-500 बहुत खराब माना जाता है.

‘हमें वायु प्रदूषण फैलाने के लिए क्यों दोषी ठहराया जा रहा’

बढ़ते वायु प्रदूषण पर किसान ने कहा, ‘कई जगह बेहद प्रदूषित हैं. वाहन, कारखाने और अन्य चीजें भी वायु प्रदूषण को बढ़ाती हैं. उन चीजों के बारे में कोई नहीं कह रहा है, फिर हमें वायु प्रदूषण फैलाने के लिए क्यों दोषी ठहराया जा रहा है?”’हमारा परिवार भी है जो वायु प्रदूषण से भी प्रभावित हो सकता है. लेकिन हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है. और इतना पराली जलाना ही प्रदूषण बढ़ने का एकमात्र कारण है. वहीं इस साल सितंबर में, केंद्र ने पंजाब के आसपास के राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण को दूर करने के उद्देश्य से फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी को सब्सिडी देने के लिए 496 करोड़ रुपये जारी किए हैं.

वहीं जिले के गांव महमा भगवाना के किसान जगदीप सिंह पिछले कई साल से पराली नहीं जला रहे हैं. 92 एकड़ रकबे में खेती करने वाले जगदीप के अनुसार उन्होंने पराली को जमीन में दबाकर गेहूं की फसल बीजी तो इसके परिणाम चौंकाने वाले थे. पिछले सालों के मुकाबले अब गेहूं की ज्यादा पैदावार हो रही हैं. कृषि विभाग की सलाह पर उन्होंने मलचर, हैप्पी सीडर व एमवी पुलाव खरीद की. इन मशीनों से धान की पराली को जमीन में दबा देते हैं. इससे जमीन काफी उपजाऊ हो रही है.