किसानों की बल्ले-बल्ले: करनाल सीएसएसआरआई ने खोजी सरसों बीज की तीन नई किस्में रिलीज, तीनों ही लवणसहनशील

lalita soni

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सीएसएसआरआई के वैज्ञानिकों ने सोडिक यानी क्षारीय भूमि क्षेत्रों के लिए सीएस-61, सीएस-62 और सीएस-64 तैयार की हैं। दो प्रजातियां उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए अनुशंसित कर दी हैं। तीसरी किस्म सीएस-64 को केंद्रीय कृषि विमोचन समिति ने रिलीज कर दिया है।

Karnal CSSRI discovered and released three new varieties of mustard seeds

केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) ने हरियाणा, पंजाब, जम्मू, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और खासकर उत्तर प्रदेश के लवणग्रस्त (क्षारीय एवं लवणीय) भूमि वाले इलाकों के लिए सरसों की तीन किस्में इजाद की हैं। इन तीनों किस्मों का बीज किसानों को 2024 में उपलब्ध कराया जाएगा। इससे उन क्षेत्रों में भी सरसों की फसल लहलहाएगी, जहां अभी एक दाना भी सरसों का पैदा नहीं होता है। हालांकि सरसों की कुछ लवणसहनशील किस्में पहले से हैं, जिनका बीज संस्थान ने वितरण करना शुरू कर दिया है। इसकी बिजाई 25 अक्तूबर तक की जा सकती है।

क्षारीय भूमि क्षेत्रों के लिए सीएस-61, सीएस-62 और सीएस-64 तैयार
हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्से के साथ-साथ खासतौर पर उत्तर प्रदेश के इटावा, हरदोई, प्रतापगढ़, कौशांबी, अवध क्षेत्र, लखनऊ, कानपुर आदि एक बड़ा भूभाग क्षारीय है, जहां अभी सरसों की पैदावार होती ही नहीं है। ऐसे क्षेत्रों में लवणसहनशील किस्मों के बीज काफी लाभकारी साबित होंगे। इससे पहले यहां के किसानों ने भी संस्थान से इस तरह की किस्मों को तैयार किए जाने का अनुरोध किया था।
सीएसएसआरआई के वैज्ञानिकों ने सोडिक यानी क्षारीय भूमि क्षेत्रों के लिए सीएस-61, सीएस-62 और सीएस-64 तैयार की हैं। दो प्रजातियां उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए अनुशंसित कर दी हैं। तीसरी किस्म सीएस-64 को केंद्रीय कृषि विमोचन समिति ने रिलीज कर दिया है, हालांकि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों के लिए संस्थान में तैयार की गई लवणरोधी किस्में सीएस-56, सीएस-58 और सीएस-60 को पहले ही रिलीज किया जा चुका है। इस किस्मों का बीज तैयार कर लिया गया है और संस्थान ने बीजों का वितरण भी शुरू कर दिया है।
राजस्थान ने मांगा सीएस-60 का बीज
राजस्थान में रबी-2022-23 में तापमान माइनस में चला गया था, तो ऐसी स्थिति में वहां प्रमुख सरसों की फसल खराब हो गई थी। सिर्फ सीएस-60 किस्म ही बची थी, जिसके कारण वहां के किसानों ने भारी मांग उठाई थी, तो राजस्थान के कृषि विज्ञान केंद्रों व अन्य केंद्रों ने बड़ी मात्रा में संस्थान बीज मांगा है। फिलहाल संस्थान द्वारा राजस्थान बीज उपलब्ध कराया जा रहा है।
अधिक तेल देने वाली हैं नई किस्में
सीएसएसआरआई के प्रधान वैज्ञानिक (सरसों प्रजनन) डॉ. जोगेंद्र सिंह ने बताया कि सामान्य परिस्थिति में इन नई किस्मों की पैदावार 27 से 29 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी, जबकि सोडिक (क्षारीय भूमि) क्षेत्र में 21 से 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी। खास बात ये है कि इन नई किस्मों में तेल की मात्रा 41 प्रतिशत होगी और अन्य में 38 प्रतिशत होती है। बिजाई रबी सीजन में एक से 25 अक्तूबर के बीच की जा सकती है। ये समय इनके लिए काफी अनुकूल है।
अधिकारी के अनुसार
सरसों की सीएस-61, सीएस-62 और सीएस-64 तीनों नई किस्में 9.4 पीएच मान तक सहनशील हैं। 6.5 से 7.5 पीएच मान सामान्य होता है।  इनमें से उत्तर प्रदेश राज्य रिलीज कमेटी ने इनमें से सीएस-61, सीएस-62 को मानकों पर खरा उतरने के बाद किसानों के लिए रिलीज कर दिया है, जबकि सीएस-64 केंद्रीय कृषि किस्म विमोचन समिति ने रिलीज कर दिया है। शीघ्र ही तीनों किस्मों को उत्तर सहित कई और राज्य भी किसानों के लिए रिलीज कर सकते हैं। फिलहाल उत्तर प्रदेश, हरियाणा में इन किस्मों के बीज 2024 में किसानों को उपलब्ध हो सकेंगे।