किसानों का बढ़ा ऐलान विधानसभा चुनाव से पहले कृषि आंदोलन को और तेज किया जाएगा, जानिए क्या है रणनीति।

Parmod Kumar

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अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले कृषि आंदोलन को तेज किया जाएगा। दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ आठ माह से अधिक समय से किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसान संगठनों की मांग है कि कृषि कानून वापस किए जाए, साथ ही एमएसपी लागू हो। अगले साल उप्र में विधानसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू हो गई है। ऐसे में किसान संगठन कृषि आंदोलन को तेज करने की समांतर तैयारी में जुट गए हैं।

पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में महापंचायत

कृषि आंदोलन में आगे की रणनीति बनाने के लिए पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत होगी। इसमें कृषि कानूनों को वापस करने की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी। भारतीय किसान आंदोलन, भारतीय किसान यूनियन, जय किसान आंदोलन समेत मेरठ के कई ऐसे संगठन हैं जो कृषि कानूनों को वापसी की मांग को लेकर शुरू से ही आंदोलन कर रहे हैं। वहीं, बुधवार को भी दिल्ली के केसरबाग में संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई। जिसमें देशभर से कई किसान संगठनों ने हिस्सा लिया। बैठक में कृषि आंदोलन को धार देने व विधानसभा चुनाव से पहले किसान संगठनों को अपने-अपने स्तर व क्षेत्र में पंचायत करने की बात पर सहमति बनी।

सरदार वीएम सिंह लड़ रहे गन्ना किसानों की लड़ाई

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व किसान नेता सरदार वीएम सिंह गन्ना किसानों की लड़ाई को पिछले काफी समय से लड़ रहे हैं। मेरठ में पिछले माह उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि लोहा गर्म है, वोट की चोट से ही सरकार से ब्याज समेत गन्ने का बकाया भुगतान लेना है। उनके संबोधन में साफ था कि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, इसलिए वोट की चोट से ही सरकार से गन्ना किसानों के भुगतान की लड़ाई लड़ी जाएगी। उन्होंने हर जिले में गन्ना किसानों से घोषणा-पत्र भरकर जिला गन्ना अधिकारी को सौंपकर वर्ष 2011 से अब तक गन्ना मूल्य भुगतान का हिसाब मांगने का आहवान किया है। उनका कहना है कि न्यायालय के आदेश भी सरकार व चीनी मिलों के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं। 14 दिन में गन्ना भुगतान का वादा करने वाली सरकार 14 माह में भी गन्ना भुगतान दिलाने में विफल रही।