केंद्र सरकार द्वारा तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा किसानों की अन्य मांगें मानने के बाद एक साल से चल रहा किसान आंदोलन खत्म हो गया है. इस बीच हरियाणा में जींद के किसान नेताओं ने गुरुवार को घोषणा की कि अब वे भाजपा-जजपा (BJP-JJP) नेताओं का बहिष्कार नहीं करेंगे और दोनों दलों के नेता गांवों में आकर जनसभा कर सकते हैं.
बता दें कि आंदोलन करने वाले 40 किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय से जारी प्रदर्शन को गुरुवार को स्थगित करने का फैसला किया है. इसके साथ घोषणा की है कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं वाले विरोध स्थलों से घर लौट जाएंगे.
भाजपा-जजपा नेताओं की गांव में होगी एंट्री
वहीं, जींद की महिला किसान नेता सिक्किम देवी ने कहा कि किसानों की जीत हुई है और जब दिल्ली सीमा से हरियाणा में किसान आएंगे तो उनका भव्य स्वागत किया जाएगा और जल्द ही टोल को भी खाली किया जाएगा. इसके साथ उन्होंने कहा, ‘अब हम भाजपा और जजपा के नेताओं का बहिष्कार नही करेंगे. अब वे गांव में आ जा सकते हैं और कोई भी रैली या जनसभा कर सकते है. किसान अब विरोध नहीं करेंगे. बता दें कि हरियाणा के जींद में भाजपा और जजपा नेताओं को किसान आंदोलन के चलते किसानों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था.
वहीं, किसान नेता आजाद पालवां का कहना है कि उचाना में राष्ट्रीय राजमार्ग पर किसानों की आखरी ट्रॉली नहीं गुजरने तक लंगर की सेवा सुचारू रूप से चलती रहेगी. इसके साथ उन्होंने कहा कि खटकड़ टोल प्लाजा पर चल रहा धरना भी 11 दिसम्बर को खत्म कर दिया जाएगा. वहीं, किसान संगठन के नेताओं ने यह भी कहा कि वे दिल्ली की सीमाओं से वापस आने वाले किसानों का सम्मान करने की तैयारी भी कर रहे हैं.
किसानों ने रखी थी ये मांगें
तीन कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद भी किसानों ने सरकार के सामने नई मांगें रखी थीं. इनमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लेने, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा, पराली जलाने पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं होने, इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल पर चर्चा की बात शामिल थी.