हरियाणा के 430 गांवों के किसानों का कपास की कम उपज पर मिलने वाले मुआवजे का इंतजार खत्म हो गया है। करीब 111 करोड़ का यह मुआवजा सिरसा, भिवानी, रेवाड़ी और कैथल के किसानों को खरीफ 2019 और खरीफ 2020 में कपास के कम उत्पादन को लेकर दिया जाना है। केंद्र ने इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में बुधवार को कृषि विभाग के पास सूचना पहुंच गई। एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के आधार पर दावों का निपटान करने के निर्देश दिए जाते हैं। खरीफ 2019 और 20 में कपास के कम उत्पादन पर मुआवजे के दावों को लेकर कृषि विभाग और एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी में ठन गई थी। कृषि विभाग ने दो क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट पर कपास का औसत उत्पादन निकाला। यह एक्सपेरिमेंट सितंबर में किए गए, परंतु कंपनी ने जनवरी में कृषि विभाग को तीसरा क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट करने के लिए कहा, परंतु तब तक कपास की फसल का समय बीत चुका था। राज्य सरकार द्वारा सितंबर 2021 से पहले ही केंद्र सरकार को सूचित कर दिया गया था कि इंश्योरेंस कंपनी को उपज डाटा को एक्सट्रपलेशन किए बिना कपास के दावों का भुगतान करने के आदेश जारी किए हैं। जिसका अधिसूचना में भी उल्लेख है कि औसत उपज डाटा और दावे की गणना के अनुमान के लिए सीसीई को पूरा करने के लिए न्यूनतम दो पिकिंग की आवश्यकता है। एक्सट्रपलेशन की अनुमति केवल उन प्रयोगों में है, जहां चयन की संख्या निर्धारित संख्या से कम है। हालांकि बीमा कंपनी का तर्क था कि औसत उपज प्राप्त करने के लिए 3-4 तुड़ाई आवश्यक है। मगर यह आपत्तियां बीमा कंपनी द्वारा देर से उठाई गई थीं। बीमा कंपनी और राज्य सरकार के बीच मुआवजे को लेकर उपजे विवाद को लेकर केंद्र ने 21 अप्रैल को संयुक्त बैठक बुलाई। जिसमें दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क रखे। केंद्र की टेक्निकल कमेटी ने राज्य सरकार के पक्ष को सही ठहराया और बीमा कंपनी को खरीफ 2019 और खरीफ 2020 के किसानों को कपास की कम उपज पर मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।