देश के किसानों को मिलेंगी गेहूं की 22 नई प्रजातियां

Parmod Kumar

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भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के पर्यवेक्षण में देश को गेहूं की 22 नई प्रजातियां किसानों को समर्पित की गई। यह पहला मौका है जब 2022 में एक साथ इतनी अधिक प्रजातियां देश के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों की सहभागिता से अनुमोदित की गई हैं। इनमें पांच प्रजातियां आईआईडब्ल्यूबीआर करनाल की हैं, इसके अलावा संस्थान की दो प्रजातियों का क्षेत्र विस्तार भी किया गया है। ये देश में गेहूं उत्पादन में क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा है, क्योंकि इससे देश के किसानों के सामने अधिक विकल्प मौजूद होंगे। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्व विद्यालय ग्वालियर के संयुक्त तत्वावधान में ग्वालियर में 29 व 30 अगस्त को आयोजित 61वीं संगोष्ठी के बाद बृहस्पतिवार को आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने संगोष्ठी में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी में प्रजाति पहचान समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें समिति ने 27 प्रस्तावों पर चर्चा की। इसमें से 22 गेहूं की प्रजातियों का अनुमोदन कर किसानों के खेतों के लिए अनुमोदित कर दी गई हैं। शीघ्र ही इन्हें केंद्रीय प्रजाति अनुमोदन समिति द्वारा रिलीज किया जाएगा। इन 22 प्रजातियों में पांच प्रजातियां आईआईडब्ल्यूबीआर करनाल की हैं। जिसमें डीबीडब्ल्यू-370, डीबीडब्ल्यू-371, डीबीडब्ल्यू-372 और डीबीडब्ल्यू-316 के अलावा डीडीडब्ल्यू-55 शामिल हैं। जल्द बुवाई व अधिक उत्पादन वाली डीबीडब्ल्यू-370 का उत्पादन 74.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, 371 का 75.9, दो जोन के लिए अनुमोदित की गई 372 का उत्पादन 60 क्विंटल, इसे मध्य भारत के लिए 75.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के लिए अनुमोदित किया गया है। 316 का उत्पादन (देर से बुवाई वाली प्रजाति) पूर्वोत्तर भारत के लिए 41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तो सीमित पानी में सेंट्रल जोन के लिए कठिया गेहूं की प्रजाति डीडीडब्ल्यू-55 को अनुमोदित किया गया है, इसमें सिर्फ एक पानी लगाना होता है। आईआईडब्ल्यूबीआर के प्रमुख अन्वेषक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि इसके अलावा आईआईडब्ल्यूबीआर की दो प्रजातियां डीबीडब्ल्यू-187 व 303 मेगा प्रजातियों में शामिल हो गई हैं। 187 ऐसी प्रजाति हैं, जिसे 20 मिलियन हेक्टेयर के लिए अनुमोदित किया है, जो देश में पांच मिलियन हेक्टेयर रकबे तक पहुंच गई है। हरियाणा में 50 प्रतिशत ये प्रजाति बोई जा रही है। इन दोनों प्रजातियों का क्षेत्र विस्तार करते हुए मध्य क्षेत्र में उच्च उर्वरता, अगेती बुवाई के लिए अनुमोदित किया गया है। इसके अतिरिक्त जो प्रजातियां अनुमोदित की गईं हैं, उनमें पीबीडब्ल्यू 826 (दो जोन के लिए), पीबीडब्ल्यू 883, आईएआरआई नई दिल्ली की एचडी 3369, 3406, 3411 व 3467, आईआरआई इंदौर की एचआई 1653, 1654, 1650, 1655, 8826, एमएसीएस पुणे की 6768, 4100, सीजी बिलासपुर की 1036 आदि शामिल हैं। आईएआरआई नई दिल्ली की दस प्रजातियां शामिल हैं।