कपास के भाव गिर जाने से किसानो की परेशानी बढ़ी, आरोप है कि निजी खरीददारों ने भाव गिराए, करेंगे आंदोलन

Parmod Kumar

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पंजाब के कपास उत्पादक किसान बेमौसम बारिश और कीटों के हमले से पहले से मुश्किल में हैं. अब कपास के भाव गिर जाने से उनकी परेशानी और बढ़ गई है. किसानों का आरोप है कि निजी खरीददारों ने मंडी में कपास की कीमत को कम कर दिया है और गिरे हुए भाव पर पैदावार बेचने को मजबूर कर रहे हैं. किसानों ने धमकी दी है कि अगर उन्हें उचित मूल्य नहीं मिलता है तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करेंगे.

राज्य के मनसा जिले के किसान कुछ मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कपास नहीं बेच पा रहे हैं. किसानों का आरोप है कि खराब गुणवत्ता का हवाला देकर व्यापारी कम कीमत लगा रहे हैं. यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब मालवा क्षेत्र में इस सीजन कपास की सबसे ऊंची कीमत 9400 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है.

‘शुरू करेंगे अनिश्चितकालीन आंदोलन’

बेमौसम बारिश और पिंक बॉलवर्म के हमले ने इस सीजन में मालवा में फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है, जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ है. द ट्रिब्यून से बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन (BKU) डकौंडा के नेता गोरा सिंह ने कहा कि पहले से नुकसान झेल रहे किसानों को अगर उचित मूल्य नहीं मिला तो हम जल्द ही अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करेंगे.

बठिंडा जिले के शेरगढ़ गांव के एक किसान संदीप सिंह ने कहा कि एक सप्ताह पहले मैंने जो उच्च गुणवत्ता वाले कपास 8500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर बेची थी, वह अब 7500 रुपए से अधिक में नहीं बिक रही है. हम उच्च गुणवत्ता वाले पैदावार को कम दर पर नहीं बेच सकते.

कुछ जिलों में 5200 रुपए प्रति क्विंटल है भाव

जय सिंघवाला गांव के एक अन्य किसान जगदेव सिंह ने कहा कि कुछ समय पहले कपास 9400 रुपए प्रति क्विंटल भाव पर बिका था, लेकिन अब निजी व्यापारियों ने कीमतों को जानबूझकर कम कर दिया है. उन्होंने बताया कि मेरे उच्च गुणवत्ता वाले कपास का उच्चतम मूल्य 7490 रुपए बताया गया, जिस कारण मैंने उपज बेचने से मना कर दिया. यदि वे कीमत नहीं बढ़ाते हैं तो मैं उपज को किसी अन्य मंडी में ले जाऊंगा और वहां बेचने की कोशिश करूंगा.

मानसा जिले में स्थिति और खराब है. यहां पर निजी व्यापारी कपास को 5200 रुपए प्रति क्विंटल तक पर खरीद रहे हैं. यह कीमत इस वर्ष के लिए निर्धारित 5925 रुपए के एमएसपी से भी काफी कम है.

‘कंपनियों ने तय किया भाव’

कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निजी कंपनियों द्वारा खरीदे जा रहे कपास की कीमतों में निश्चित रूप से गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों ने सर्वसम्मति से एक ‘पूल’ का गठन किया था और फैसला किया था कि वे उच्च गुणवत्ता वाले कपास की एक निश्चित सीमा से अधिक कीमत नहीं देंगे.

बीकेयू डकौंडा के नेता गोरा सिंह ने पूछा कि यह कैसे संभव है कि कुछ दिन पहले अच्छी गुणवत्ता वाली कपास 8500 रुपए से लेकर 9400 रुपए प्रति क्विंटल तक पर बिक रही थी और अब अचानक कीमतें गिर गई हैं?