सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों की टेंशन दूर नहीं हो रही है. किसानों ने 8,000 रुपये की कीमत मिलने की उम्मीद में सोयाबीन का स्टॉक कर लिया था. दिवाली के कुछ दिनों बाद भंडारण से किसानों को फायदा हुआ था, लेकिन पिछले एक महीने से किसानों का पूर्वानुमान गलत रहा है.
क्योंकि लातूर कृषि मंडी में पिछले 15 दिनों में सोयाबीन के भाव में 600 रुपए की गिरावट आई हैं.ऐसे में अब किसनों के मन में सवाल उठ रहा हैं कि भंडारण किए हुए सोयाबीन का क्या किया जाए, किसान पिछले कई दिनों से अधिक दाम की आस में कृषि उपज का स्टॉक कर रहे हैं.
सोयाबीन फिर 6 हजार
दिसंबर की शुरुआत में सोयाबीन की कीमत 6,000 रुपये तक पहुंच गई थी,उस दौरान सोयाबीन के आयात की बात चल रही थी इसका असर सोयाबीन की कीमतों पर पड़ा रहा था .हालांकि,अब केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि सोयाबीन का आयात नहीं किया जाएगा.इसके बावजूद सोयाबीन की कीमतों में तेजी से गिरावट देखी जा रही हैं.इस सप्ताह के पहले दिन सोयाबीन की कीमतों में 200 रुपये की गिरावट आई हैं इसलिए किसान अब इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आगे क्या होगा.
दरों में गिरावट के क्या कारण हैं?
सोयाबीन की कीमतें पिछले कुछ दिनों में या तो स्थिर रही हैं या घट रही हैं.सोयाबीन की मांग में गिरावट आई है,इसके अलावा, प्रक्रिया उद्यमी, व्यापारी स्टॉक निर्णय को उलटने के बाद भी सोयाबीन खरीद पर ध्यान नहीं दे रहे हैं इस साल पहली बार ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की बुवाई बड़े पैमाने पर की गई हैं. इसलिए, व्यापारी भविष्यवाणी कर रहे हैं कि कीमतें नहीं बढ़ेंगी क्योंकि बाजार में अटकलें हैं कि भविष्य में सोयाबीन की कोई कमी नहीं होगी. हालांकि, घटती दरें और बढ़ती आवक किसानों के लिए चिंता का विषय है.लातूर कृषि उपज मंडी समिति को सोमवार को 12,000 बोरी कि आवक आई थी.सोयाबीन के नियमित सौदे और बीजों के लिए सोयाबीन के सौदे अलग अलग शुरू होगए हैं.
अन्य कृषि चीजों के क्या हैं रेट?
लातूर में कृषि उपज मंडी अन्य चीजों की कीमत कुछ तरह हैं.अरहर 5800 रुपये प्रति क्विंटल,चना 4900 रुपये प्रति क्विंटल,मूंग 7200 रुपये, तो वही उड़द 7300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा हैं.