प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान यानी पीएम कुसुम योजना के जरिए किसानों की आय में तेजी से वृद्धि हो सकती है. किसान को अपने खेत की अनुपजाऊ जमीन पर खुद या किसी निवेशक के साथ सोलर संयंत्र की स्थापना करके उसकी बिजली बेचकर नियमित आय कर सकता है. विशेषकर कम जमीन वाले किसानों की निर्भरता खेती पर कम हो जाएगी. उन्हें सोलर संयंत्र से एकमुश्त नियमित आय होती रहेगी.
योजना को लेकर किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार 24 अगस्त को भोपाल के मिन्टो हॉल में एक कार्यशाला आयोजित करेगी. इसमें कंसलटेंट, बैंक (Bank) और कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. किसानों को स्वेच्छा से डेवलपर चयन की स्वतंत्रता रहेगी. ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग समापन समारोह में शाम 4 बजे योजना में चयनित किसानों और डेवलपरों को लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) का वितरण करेंगे. योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना है.
योजना के तहत प्रदेश को 300 मेगावॉट के पैकेज का आवंटन
केंद्रीय नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा कुसुम- योजना के तहत प्रदेश में कुल 300 मेगावॉट क्षमता का आवंटन किया गया है. ऊर्जा विकास निगम द्वारा अब तक निविदा के दो चरणों में कुल 42 निविदाकर्ताओं का सौर ऊर्जा उत्पादक के रूप में चयन कर 75 मेगावॉट क्षमता का आवंटन किया जा चुका है. निविदाकर्ताओं में 40 किसान और 2 डेवलपर शामिल हैं.
आवंटन में मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के 11 जिलों के 31 सब-स्टेशन के 32 सौर ऊर्जा उत्पादक, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के 4 जिलों के 4 सब-स्टेशन के 4 सौर ऊर्जा उत्पादक और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के 4 जिलों के 6 सब-स्टेशन के 6 सौर ऊर्जा उत्पादक शामिल हैं. संयंत्रों से उत्पादित विद्युत मध्यप्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा खरीदी जाएगी.
क्या है प्लान, किसान कहां लगाएंगे प्लांट
पीएम कुसुम के तहत सौर संयंत्र की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों के चयनित विद्युत सब-स्टेशनों के लगभग 5 किलोमीटर के दायरे में, किसानों द्वारा उनकी अनुपयोगी बंजर कृषि भूमि पर 500 किलोवॉट से 2 मेगावॉट क्षमता के विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्रों को विकसित करने की योजना है.
इन्हें विद्युत वितरण कंपनी के चिन्हित 33/11 के.वी. सब-स्टेशनों से सीधे जोड़ा जाएगा. यदि आवेदक सोलर संयंत्र स्थापित करने के लिए आवश्यक इक्विटी की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं हैं, तो वे डेवलपर के माध्यम से संयंत्र विकसित कर सकते हैं. डेवलपर द्वारा किसान को आपसी सहमति से तय दरों पर लीज रेंट दिया जायेगा.
एक वर्ष में 46 लाख रुपये की आय संभावित
एक मेगावॉट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए लगभग 4 से 5 एकड़ भूमि की जरूरत होती है. जिससे एक वर्ष में लगभग 15 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होता है. उत्पादित बिजली की खरीद मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दरों पर या उससे कम दरों पर की जाएगी.
आयोग द्वारा कुसुम योजना में स्थापित संयंत्रों से उत्पादित बिजली के विक्रय के लिए 3 रुपये 7 पैसे की सीलिंग दर (टैरिफ) निर्धारित की गई है. इस प्रकार सौर ऊर्जा उत्पादकों को एक वर्ष में लगभग 46 लाख रुपये आय की संभावना है.