कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन पाने के लिए किए जा रहे हैं नए प्रयोगों के कारण खेती की मिट्टी की गुणवत्ता काफी खराब हो चुकी है. खेत की उपज के लिए यह एक चुनौती बन गया है. केमिकल फर्टिलाइजर्स और कीटनशाक के अधिक के इस्तेमाल के कारण ओड़िसा के नयागढ़ जिले की 85 फीसदी जमीन एसिडिक हो गयी है. जिससे यहां पर खेती करना किसानों के सामने एक चुनौती बनता जा रहा है क्योंकि हर पर मिट्टी का ट्रीटमेंट करना किसानों के लिए महंगा साबित हो रहा है. बताया जाता है कि बिना मिट्टी की जांच कराए ही केमिकल फर्टिलाइजर और कीटनशाक के इस्तेमाल के कारण यह स्थिति पैदा हुई है.
रिपोर्ट की माने तो अगर अगर समय रहते ही खेतों की सही तरीके से जांच नहीं की जाती है तो वो दिन दूर नहीं जब पूरे जिले की जमीन अम्लीय हो जाएगी. जिसके चलते जिले के खेतों उत्पादकता प्रभावित हो सकती है क्योंकि अम्लीय मिट्टी में फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है. इतना ही नहीं इसके कारण क्षेत्र की जैव विविधता में खतरे में पड़ सकती है.
पीकेवीवाई की हुई थी शुरुआत
लंबे समय से देश में रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल के कारण मिट्टी को नुकसान को सुधारने के लिए वित्त वर्ष 2017-18 में केंद्र सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) की शुरूआत की थी. इसका उद्देश्य परंपरागत खेतों की ऑर्गेनिक खेतों में बदलना था. इसके लिए कलस्टर की बनाकर इस काम को किया जाना था, पर जिला कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण जिले में यह योजना पूरी तरह फेल हो गई.
किसानों के बीच जागरूकता का आभाव
यह योजना मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के तहत आता है, जो नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर के अंतर्गत आता है. पर किसानों के बीच इस योजना के प्रचार प्रसार और किसानों के जागरूकता के आभाव में यह योजना सही तरीके से कार्य नहीं कर पाई. किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया. ओडिशा पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक खेतों की मिट्टी में बढ़े एसिड के कारण फसल के उत्पादन में भारी गिरावट आयी है. फसल में आयी गिरावट के चलते किसानों की आर्थक स्थिति खराब हो रही है. पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है.
जैविक खेती अपना रहे किसान
रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018-19 में राणपुर प्रखंड के 440 किसानों और ओड़ागांव प्रखंड के 173 किसानों ने जैविक खेती को अपनाया है, राणपुर के किसान 770 एकड़ में और ओड़ागांव के किसान 300 एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं. 2019-20 में राणपुर प्रखंड के 623 किसानों ने 100 एकड़ जमीन में जैविक खेती शुरू की है. इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में राणपुर प्रखंड के 907 और ओड़ागांव प्रखंड के 300 किसानों ने जैविक खेती को अपनाया था. राणपुर में 1500 एकड़ और ओड़ागांव में 100 एकड़ जमीन में जैविक खेती शुरू हुई थी.