बेटा सरबजोत भावुक न हो जाए इसलिए पिता नहीं गए पेरिस !

parmod kumar

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अंबाला के मुलाना के छोटे से गांव धीन के रहने वाले शूटर सरबजोत ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीत लिया है। इससे परिवार सहित पूरे देश में खुशी का माहौल है। सरबजोत के लिए यह ओलंपिक में पहला पदक है तो मनु भाकर ने दूसरा पदक जीतकर सभी को गर्व का अहसास कराया है। जिस समय सरबजोत और मनु भाकर की जोड़ी का दोपहर एक बजे मुकाबला शुरू हुआ उस समय सरबजोत के पिता जितेंद्र सिंह अंबाल छावनी स्थित शूटिंग अकादमी में उसके सहयोगियों के साथ थे।

 

उन्होंने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर विश्वास था कि वह ओलंपिक में जरूर जीतेगा। पहली बार में कुछ तकनीकि कमियां रहीं तो हारने के बाद बेटे का फोन आया तो सिर्फ उन्होंने इतना ही कहा कि मुझे तुझ पर विश्वास है अपना पूरा फोकस लगाकर मुकाबला खेल, हार जीत की चिंता न कर। फतह कर के आ, ऊपर वाला पूरा साथ देगा।

 

ओलंपिक से पहले सरबजोत पिछले कुछ दिनों से फ्रांस में पसीना बहा रहे थे। खास बात है कि कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियागिताओं में भारत का नाम ऊंचा करने वाले सरबजोत पहली बार ओलंपिक खेल रहे है। अपने पहले मुकाबले में जाने से एक दिन पहले सरबजोत ने अपने माता पिता को धीन गांव में फोन किया।