फाइनेंसर से तंग आकर दी जान,27 लाख रुपये के लेनदेन में आरा संचालक ने की आत्महत्या!

parmodkumar

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हिसार ठंडी सड़क एरिया स्थित सुदामा नगर निवासी एवं आरा संचालक राजीव कालिया ने फाइनेंसर से तंग आकर आत्महत्या कर ली। मृतक 45 वर्षीय राजीव के बेटे नकुल की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। 14 दिन पहले 25 अक्तूबर को राजीव कालिया ने पुलिस अधीक्षक के नाम फाइनेंसर विजेंद्र गिल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर लिखित शिकायत भी दी थी।

एचटीएम थाना प्रभारी को दी शिकायत में सुदामा नगर निवासी नकुल ने बताया कि उनके पिता राजीव कालिया आरा मशीन चलाते थे। हम तीन भाई व एक बहन चारों अविवाहित हैं। मैं सबसे बड़ा मेरे बाद सूरज तथा सबसे छोटा देव है। बहन राखी है। मेरे पिता को भिवानी जिले के गांव रोहनात निवासी विजेंद्र काफी समय से परेशान करता था। मेरे पिता का विजेंद्र के साथ पैसे का लेनदेन था।

मेरे पिताजी अक्सर कहते थे विजेंद्र ने परेशान कर दिया है। मेरे मरने के बाद ही मेरा पीछा छूटेगा। 9 नवंबर को मेरे पिता ने आत्महत्या कर ली। नकुल ने बताया कि उनके पिता राजीव कालिया ने 25 अक्तूबर को विजेंद्र पर कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर पुलिस अधीक्षक के नाम एक शिकायत सौंपी थी।

तीन पेज की शिकायत में राजीव ने पुलिस को पूरे मामले से अवगत कराया था। इसमें उन्होंने लिखा था कि उन्होंने वर्ष 2012 में विजेंद्र से 17 लाख रुपये लिए थे। हमने यह पैसे पूर्व पार्षद मान सिंह चौहान व प्रदीप गर्ग को दिलवाए थे। जिसमें मैं गारंटर था। 2012 से 2018 तक हर महीने 7 प्रतिशत सैंकड़ा के हिसाब से नकद ब्याज देता रहा। 2018 में हमारा समझौता हो गया था। जिसमें समझौते के अनुसार 17 लाख रुपये देने थे। इसके अलावा कोई ब्याज नहीं देना था। समझौते के बाद भी विजेंद्र दबाव बनाकर मुझ से ब्याज लेता रहा।

15 जून 2022 को विजेंद्र ने कहा कि आपको 23 लाख 40 हजार रुपये देने हैं। इसके बाद भी मैंने 27 लाख 20 हजार रुपये ले ली। विजेंद्र ने खाली चैक व बैंक पास बुक लेकर हस्ताक्षर करवा लिए। उसने एक चैक बाउंस करा कर केस दर्ज करा दिया है। राजीव कालिया ने अपनी शिकायत में आगे कहा कि विजेंद्र जान से मारने की धमकी भी दे रहा था। जांच अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि केस दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

आरोप बेबुनियाद

मैं तथा राजीव 1998 में सैंट सोफिया स्कूल में एक साथ पढ़ते थे। वह मेरा पुराना सहपाठी होने के चलते हमारे पारिवारिक रिश्ते थे। मेरा उनके साथ कुछ लाख रुपये का लेनदेन था। जिस पर हमारा समझौता हो गया था। पैसे चुकाने के लिए राजीव ने तीन चैक दिए थे। मैंने चैक बैंक में लगाए तो वह बाउंस हो गए। जिसके बाद मैंने अदालत में केस डाल दिया था। हमारा अदालत में केस चल रहा है। पिछले तीन साल से हमारा कोई संपर्क नहीं था। एक सप्ताह पहले मुझे एचटीएम थाना प्रभारी ने बुलाया था। मैंने अपना पक्ष रख दिया था। अभी हमारा कोई विवाद नहीं था। मुझे नहीं पता इस पुराने मामले में मुझे क्यों घसीटा जा रहा है। 

मैं विजेंद्र गिल को नहीं जानता। बतौर वकील राजीव मुझसे सलाह लेने आता था। लेनदेन के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। मेरा राजीव के साथ किसी तरह का लेनदेन नहीं है। शिकायत में मेरे नाम का जिक्र क्यों आया मुझे नहीं पता।