अमेठी हत्‍याकांड में तो मिली आर्थिक सहायता, लेकिन यूपी में SC-ST उत्पीड़न के 6,411 मामलों में मदद का इंतजार !

parmodkumar

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लखनऊ में अमेठी के शिक्षक हत्याकांड पर यूपी सरकार ने पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद प्रदान की है। अन्य एससी-एसटी उत्पीड़न मामलों में, 6,411 पीड़ित सरकारी सहायता की प्रतीक्षा में हैं। भुगतान के लिए 110 करोड़ रुपये की आवश्यकता है और बजट की कमी है।

लखनऊ: अमेठी में हाल ही में हुए सरकारी टीचर के पूरे परिवार के हत्‍याकांड में यूपी सरकार ने आर्थिक मदद दी है। रायबरेली डीएम हर्षिता माथुर के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद सौंपी गई है। परिवार को 5 बीघा पट्टा आवंटन किया गया है। इसके साथ ही एक मुख्यमंत्री आवास, मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष के तहत 5 लाख का चेक और एससी-एसटी अधिनियम के तहत 33 लाख रुपए की आर्थिक मदद की गई है।

लेकिन यूपी में लंबित SC-ST वर्ग के अनेक उत्पीड़न के मामलों में पीड़ितों को सरकारी आर्थिक सहायता का इंतजार है। यह सहायता समाज कल्याण विभाग मुहैया कराता है। लंबित 6,411 मामलों में पीड़ितों को आर्थिक लाभ दिलवाने के लिए पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिलाधिकारियों के साथ प्रमुख सचिव समाज कल्याण को भी पत्र लिखा है। वहीं, समाज कल्याण निदेशक कुमार प्रशांत का कहना है कि पीड़ितों को सहायता देने के लिए 110 करोड़ रुपये की जरूरत है। योजना में 30 करोड़ का बजट मिला था। भुगतान के लिए शासन से बजट मांगा जा रहा है। बजट मिलते ही भुगतान कर दिया जाएगा।

SC-ST वर्ग के लोगों का उत्पीड़न होने पर सरकार की ओर से उन्हें आर्थिक सहायता दी जाती है। यह आर्थिक सहायता 85 हजार से लेकर 8.25 लाख रुपये तक होती है। पुलिस मुख्यालय के ADG (विशेष जांच) विजय सिंह मीना की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि एक जनवरी 2024 से 31 अगस्त 2024 के बीच SC-ST उत्पीड़न के 10,143 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें पीड़ित या उसके आश्रितों को आर्थिक सहायता मिलनी है। 31 अगस्त तक आर्थिक सहायता के लिए 7,852 मामले संबंधित जिला समाज कल्याण अधिकारियों को भेजे गए, जिसमें महज 1,441 पीड़ितों को ही आर्थिक सहायता मिल सकी है। 6,411 मामले अभी तक लंबित हैं।

सबसे ऊपर लखनऊ

पत्र के साथ ADG ने लंबित मामलों की सूची भी डीएम को भेजी है। इसमें सबसे ज्यादा 332 लंबित मामलों के साथ लखनऊ जिला पहले नंबर पर है। 253 लंबित मामलों के साथ प्रतापगढ़ दूसरे और 217 लंबित मामलों के साथ हरदोई तीसरे नंबर पर है। सीतापुर में 203, रायबरेली में 198, कुशीनगर में 175, गोंडा में 171, बहराइच में 163, अलीगढ़ में 162 और खीरी में 161 मामले लंबित हैं।