15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से ‘ मिशन सुदर्शन चक्र ‘लॉन्च करने की घोषणा की थी। रविवार (24 अगस्त) को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) का पहला सफल परीक्षण किया। ओडिशा के चांदीपुर ऑन सी से किए गए इस परीक्षण में आईएडीडब्ल्यूएस ने अलग-अलग रेंज और ऊचाइयों के तीन अलग-अलग टारगेट को एक साथ तबाह कर दिया। इसे ‘मिशन सुदर्शन चक्र’मिशन की दिशा में पहला बड़ा कदम बताया जा रहा है।
इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम क्या है?
आईएडीडब्ल्यूएस एक मल्टीलेयर एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसमें तीन महत्वपूर्ण कंपोनेंट शामिल हैं। ये हैं- क्विक रियेक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल(QRSAM), एडवांस वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) मिसाइल और हाई पावर लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW)। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि परीक्षण के दौरान वेपन सिस्टम के सभी कंपोनेंट (घटकों) ने बिना किसी रुकावट के शानदार काम किया। इसकी पुष्टि चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में फ्लाइट डेटा जुटाने के लिए
क्विक रियेक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल
क्यूआरएसएएम(QRSAM) को डीआरडीओ ने डिजाइन और डेवलप किया है। यह एक शॉर्ट रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है। इसे शुरुआती तौर पर सेना की आगे बढ़ती बख्तरबंदी टुकड़ियों को दुश्मनों के हर हमले से सुरक्षा देने के लिए डेवलप किया गया है। पूरे वेपन सिस्टम को एक बेहद ही आधुनिक मोबाइल प्लेटफॉर्म पर फिट किया गया है। यह टारगेट को खोजने और उन्हें ट्रैक करने में सक्षम हैं और रुक-रुक कर फायर कर सकते हैं। इसकी ऑपरेशनल रेंज 30 किलोमीटर है।
वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम
वीएसएचओआरएडीएस (VSHORADS) चौथी पीढ़ी का तकनीकी तौर पर उन्नत छोटी मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPAD) है। डीआरडीओ के मुताबिक यह भारतीय सशस्त्र सेना के तीनों हिस्सों आर्मी, नेवी और एयर फोर्स की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। यह वेपन सिस्टम ड्रोन समेत अन्य तरह के हवाई हमलों को 300 मीटर से 6 किलोमीटर तक की नजदीकी रेंज में नाकाम करने में सक्षम हैं।
अप्रैल में भी वाहन पर फिट किए गए एक लेजर डीईडब्ल्यू (DEW) का सफल प्रदर्शन किया गया था। इसने फिक्स विंग यूएवी और स्वार्म ड्रोन (ड्रोन के झुंड) को न्यूट्रलाइज किया और उनके सर्विलांस सेंसर को भी नाकाम कर दिया। इसके साथ ही भारत इस तरह के वेपन सिस्टम वाले वैश्विक शक्तियों में शामिल हो गया है। डीईडब्ल्यू की रेंज तीन किलोमीटर से भी कम है। वीएसएचओआरएडीएस और डीईडब्ल्यू को क्रमश: रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) और सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम एंड साइंसेज (CHESS) ने विकसित किया है। दोनों डीआरडीओ से जुड़े हैं और हैदराबाद में स्थित हैं।
सेंट्रलाइज्ड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम
इन सभी वेपन सिस्टम को एक सेंट्रलाइज्ड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से संचालित किया जाता है, जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी (हैदराबाद) ने विकसित किया है। यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम है, जिसमें दो रडार- एक्टिव ऐरे बैटरी सर्विलांस रडार और एक्टिव ऐरे बैटरी मल्टीफंक्शन रडार के अलावा एक लॉन्चर से लगे हैं। दोनों ही रडार की 360 डिग्री कवरेज के साथ-साथ ‘सर्च ऑन मूव’ और ‘ट्रैक ऑन मूव’ क्षमता से लैस हैं।
‘सुदर्शन चक्र मिशन’की दिशा में पहला कदम
एक वरिष्ठ डीआरडीओ वैज्ञानिक के मुताबिक पूरी तरह से स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम (IADWS) सामरिक तौर पर बहुत ही महत्वपूर्ण है। लो रेंज पर किया गया यह पहला सफल परीक्षण, हाई रेंज पर इस सिस्टम के इस्तेमाल का रास्ता साफ करता है। साथ ही यह ‘मिशन सुदर्शन चक्र’की दिशा में पहला कदम है, जो कि एक व्यापक सुरक्षा कवच होगा। डीआरडीओ के इस मिशन में शामिल एक पूर्व बड़े वैज्ञानिक ने इसे देश की स्वदेशी रक्षा क्षमता की दिशा में विशाल रणनीतिक कदम माना है। 79वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने कहा था, “अब देश सुदर्शन चक्र मिशन लॉन्च करेगा। यह मिशन सुदर्शन चक्र एक पावरफुल वेपन सिस्टम दुश्मन के हमले को न्यूट्रलाइज तो करेगा ही करेगा, लेकिन कई गुना ज्यादा दुश्मन पर हिट बैक करेगा।















































