नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली का भीड़भाड़ वाला इलाका- सराय काले खां। तारीख 11 अक्टूबर 2024 और आधी रात के लगभग 3 बजे का वक्त। दिल्ली पुलिस के पास एक कॉल आती है। फोन करने वाला शख्स बताता है कि इलाके में एक महिला बेसुध और बुरी हालत में पड़ी है। दिल्ली पुलिस की गाड़ी तुरंत मौके पर पहुंचती है। महिला के शरीर से खून बह रहा था और उसकी हालत काफी नाजुक थी। महिला को फौरन एम्स के ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया जाता है, जहां जांच के बाद डॉक्टर बताते हैं कि उसके साथ गैंगरेप हुआ है।
जांच में ये भी पता चलता है कि पीड़िता ओडिशा की रहने वाली है और मानसिक तौर पर विक्षिप्त है। मौके पर पुलिस के आला अफसर भी पहुंचते हैं और केस की तफ्तीश के लिए तेज-तर्रार अफसरों की 10 टीमें गठित कर दी जाती हैं। पीड़िता इस हालत में नहीं थी कि उसके साथ दरिंदगी करने वालों का हुलिया या कोई सुराग बता सके। ऐसे में पुलिस के लिए पूरी तरह से ये एक ब्लाइंड केस था।
पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती पीड़िता से उन लोगों के बारे में जानकारी जुटाने की थी, जिन्होंने उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके लिए पुलिस एक प्लान बनाती है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की एक महिला कॉन्सटेबल को सामाजिक कार्यकर्ता बनाकर पीड़िता के पास भेजा जाता है। साथ ही एम्स मैनेजमेंट से बातचीत के बाद एक महिला ओडिया ट्रांसलेटर भी नर्स के कपड़ों में उसके पास भेज दी जाती है।
700 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे
अब इस मासूम के साथ दरिंदगी करने वालों को पकड़ने के लिए पुलिस के पास मजबूत ना सही, लेकिन कुछ सुराग जरूर थे। पहला- आदमी तीन थे। दूसरा- एक ऑटो ड्राइवर था, जबकि एक विकलांग, तीसरे के बारे में कुछ नहीं पता। और तीसरा सुराग- वारदात रेलवे स्टेशन के आसपास हुई थी। पुलिस को एहसास हो गया कि अपराधियों को पकड़ने के लिए उन्हें काफी लंबी जद्दोजहद करनी होगी।
सबसे पहले एक साइट प्लान तैयार किया जाता है, जिसके तहत उस इलाके से लेकर आसपास की सभी सड़कों के सीसीटीवी कैमरे खंगाले जाते हैं, जहां पीड़िता बेसुध हालत में मिली थी। सरकारी और प्राइवेट मिलाकर पुलिस 700 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक करती है। आखिरकार एक कैमरे में पीड़िता 10 अक्टूबर की सुबह तकरीबन 10 बजे पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते हुए दिख जाती है।
तैयार की 150 ऑटो रिक्शा की लिस्ट
शुरुआती तीनों सुरागों के बाद पुलिस के लिए ये एक बड़ा सुराग था। अब यहां से पुलिस पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन और सराय काले खां के बीच में पड़ने सभी रूट्स के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक करती है। पुरानी दिल्ली स्टेशन से निकलकर पीड़िता कहां-कहां जा सकती है, सारे रूट का डिजिटल मैप तैयार किया जाता है।
डिजिटल मैप के जरिए, सुबह 10 बजे से लेकर पीड़िता के मिलने के बीच के समय में, रूट पर दिखे लगभग 150 ऑटो रिक्शा वालों की नंबर प्लेट की लिस्ट तैयार होती है। इनमें कुछ नंबर पूरे नजरआए थे, जबकि कुछ अधूरे। काम बेहद मुश्किल था, लेकिन पुलिस की ये टीम किसी भी कीमत पर उन तीनों अपराधियों तक पहुंचना चाहती थी
सीसीटीवी फुटेज ने खोल दिया पूरा केस
एक सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो रिक्शा उस जगह पर खड़ा दिखाई देता है, जहां महिला मिली थी। आगे की तफ्तीश होती है, तो कुछ और कैमरों में यही ऑटो रिक्शा दूसरी जगह जाते हुए और एक जगह पर रुकते हुए नजर आता है। ड्राइवर यहां अपने ऑटो से उतरता है और सड़क पार कर दूसरी तरफ जाता है।
थोड़ी मशक्कत के बाद पुलिस को इस ऑटो रिक्शा और उसके ड्राइवर की पूरी डिटेल मिल जाती है। ड्राइवर का नाम था प्रभु महतो। घटना वाली रात उसके मोबाइल की लोकेशन भी उसी इलाके में एक्टिव मिलती है। 30 अक्टूबर को पुलिस प्रभु महतो को गिरफ्तार कर लेती है। पूछताछ में महतो अपना जुर्म कबूलते हुए दूसरे साथी प्रमोद उर्फ बाबू का नाम बताता है और उसे भी 2 नवंबर को पकड़ लिया जाता है।
इनसे पूछताछ के बाद 4 नवंबर को तीसरे आरोपी मोहम्मद शमशुल को भी गिरफ्तार कर लिया जाता है। इनमें प्रभ महतो ऑटो चलाता था। वहीं, प्रमोद की कबाड़े की दुकान है। मोहम्मद शमशुल दोनों पैरों से विकलांग है और सड़कों पर भीख मांगता था। पूछताछ में तीनों बताते हैं कि घटना वाली रात सबसे पहले प्रमोद ने पीड़िता को सड़क पर घूमते हुए देखा। वो शराब के नशे में था और उसने ही सबसे पहले उसके साथ दुष्कर्म किया।
इसके बाद वहां शमशुल पहुंचा। उसने भी शराब पी रखी थी और प्रमोद के बाद शमशुल ने महिला के साथ हैवानियत की। इन दोनों को दुष्कर्म करते हुए प्रभु महतो ने देख लिया और उसने भी महिला के साथ अपने ऑटो में दरिंदगी की। इसके बाद महतो पीड़िता को सराय काले खां इलाके में फेंककर फरार हो गया। इस केस को सुलझाने में 24 दिनों का वक्त लगा और पुलिस का कहना है कि वो आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाएगी।