हाईकोर्ट के आदेश पर की जा रही दस्तावेजों की जांच में 2019 की क्लर्क भर्ती में फर्जीवाड़ा सामने आया है। छह क्लर्क के बायोमीट्रिक निशान का मिलान नहीं हो पाया। उकलाना के राहुल कुमार, प्रदीप कुमार, गन्नौर के विशाल, रोहतक के खुशी राम और बुटाना के मोनू सांगवान व एक अन्य ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के सामने कुबूला कि उन्होंने दो से तीन लाख रुपये देकर दूसरों से परीक्षा दिलाई थी। वहीं, गड़बड़ी पकड़े जाने के डर से 50 फीसदी अभ्यर्थी दोबारा दस्तावेजों की जांच कराने नहीं पहुंचे हैं। यह प्रक्रिया 21 मई से शुरू हुई और 6 जून तक चलेगी। चार दिन में 6 हजार में से मात्र 2983 ने ही दस्तावेजों की जांच कराई है। इस भर्ती में बड़े स्तर पर धांधली की आशंका है। दस्तावेजों की जांच में एक ऐसा मामला भी सामने आया है कि एक अभ्यर्थी ने आर्थिक सामाजिक आधार पर अतिरिक्त नंबरों के लिए दावा भी नहीं किया था फिर भी उसे अंक मिले और उसका चयन भी हो गया। भर्ती में अतिरिक्त अंकों के आधार पर भर्ती होने वालों की संख्या अधिक है। आयोग ने आर्थिक सामाजिक आधार के अंकों को लेकर भी अलग से जांच शुरू कर दी है। फर्जीवाड़ा करने वालों की पूरी सूची छह जून के बाद पुलिस को सौंपी जाएगी और केस दर्ज कराया जाएगा। अभी 4748 क्लर्क पिछले दो साल से अलग-अलग विभागों में तैनात हैं। जिस प्रकार भर्ती में गड़बड़ी सामने आ रही है उससे तय है कि काफी की नौकरी जा सकती है। 2019 में एचएसएससी के तत्कालीन चेयरमैन भारतभूषण भारती के समय भर्ती निकाली गई थी। अभ्यर्थियों ने परीक्षा में पूछे गए सवालों को लेकर याचिका दायर की थी। 25 अप्रैल को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने क्लर्क भर्ती परीक्षा के तीन सवालों को ठीक माना है। इससे एक लाख से अधिक अभ्यर्थियों के नंबर बढ़ गए हैं और 48 हजार के घट गए हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर इस भर्ती का संशोधित परिणाम जारी करने के लिए ही आयोग दोबारा से दस्तावेजों की जांच कर रहा है।
हरियाणा में क्लर्क भर्ती में फर्जीवाड़ा: हाईकोर्ट के आदेश पर की जा रही दस्तावेजों की जांच
Parnod Kumar