आज भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई प्रमुख सौरव गांगुली का 49वां जन्मदिन है। ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ और ‘रॉयल बंगाल टाइगर’ के नाम से मशहूर सौरभ गांगुली ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल कीं। गांगुली की कप्तानी और बल्लेबाजी स्टाइल को आज भी याद किया जाता है। भारतीय क्रिकेट को नई पहचान दिलाने में गांगुली की अहम भूमिका है। गांगुली ने 1996 में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर शानदार सेंचुरी से अपने करियर की शुरुआत की। विदेशी जमीन पर उनकी कप्तानी में भारत ने 28 टेस्ट मैच खेले, जिसमें से 11 में जीत हासिल की। 113 टेस्ट मैचों में गांगुली ने 7212 और 311 वनडे खेलने के बाद उन्होंने 11363 रन रन बनाए। भारत की ओर से वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा स्कोर 183 उनके नाम है। गांगुली ने वनडे में कुल 22 शतक लगाए, जिसमें से 18 शतक उन्होंने भारत के बाहर लगाए।
साल 2000 में मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद जब भारतीय क्रिकेट संकट में था तब गांगुली ने टीम की कमान संभाली और टीम को संभाला। जब वह कप्तान बने भारत की टेस्ट रैंकिंग 8 थी। जब वह कप्तानी से रिटायर हुए तो भारत दूसरे पायदान पर था। गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के बाद सन 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ 239 रन बनाए। बैंगलोर में खेली गई यह पारी उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का एकमात्र दोहरा शतका है। 2000 में केन्या में खेला गया आईसीसी नॉकआउट कप गांगुली की कप्तानी में पहला बड़ा टूर्नमेंट था। इसके फाइनल में क्रिस क्रेन्स की शानदार पारी के दम पर भारत को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2002 में भारत ने श्रीलंका में आयोजित आईसीसी चैंपियंस ट्रोफी का संयुक्त खिताब जीतकर गांगुली की कप्तानी में पहला आईसीसी खिताब जीता।2002 का नेटवेस्ट फाइनल भला कौन भूल सकता है। भारतीय टीम ने 146 रनों पर 5 विकेट गंवाने के बाद इंग्लैंड के स्कोर 325 को पार किया था। भारत की इस जीत में युवा चेहरे मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद गांगुली का लॉर्ड्स की बालकनी में शर्ट उतारकर लहराना तो क्रिकेटप्रेमी शायद ही कभी भूल पाएंगे।2003 में गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी। 1983 के बाद पहली बार भारतीय टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी। फाइनल में उसके सामने अजेय समझे जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम थी। फाइनल में भारत को 125 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन भारतीय खेल प्रेमियों के मन में सौरभ गांगुली और उनकी टीम के प्रति सम्मान और बढ़ गया।2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला। इसके बाद वह क्रिकेट असोसिएशन ऑफ बंगाल (सीएबी) के अध्यक्ष बने, जबकि फिलहाल बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं।गांगुली मुख्य रूप से दाएं हाथ के बल्लेबाज थे लेकिन वह बाएं हाथ के बल्लेबाज इसलिए बने ताकि अपने भाई का क्रिकेट का सामान इस्तेमाल कर सकें।
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