Ghaziabad City History: उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद बेहद रोचक शहर है। वीकेंड में दिल्ली के आसपास घूमने के लिए यह अच्छी जगहों में से एक है। अगर आप इतिहास प्रेमी हैं, तो आपको इस 2500 साल पुराने शहर के कोने-कोने को एक्सप्लोर जरूर करना चाहिए। चलिए जानते हैं गाजियाबाद सिटी की हिस्ट्री।
वीकेंड पर घूमने के लिए उत्तर प्रदेश का बनारस और वाराणसी शहर बहुत अच्छा है। यहां कई प्रसिद्ध मंदिरों के अलावा घाट भी हैं। पर क्या आपने कभी यूपी के गाजियाबाद को एक्सप्लोर करने के बारे में सोचा है। दिल्ली से सटे होने के कारण इसे “गेटवे टू यूपी” कहा जाता है। यहां एक तरफ इंडस्ट्रियल एरिया है, तो दूसरी तरफ इंदिरापुरम जैसी हाईराइज सोसायटी की कॉलोनी। थोड़ा आगे निकल जाएं, तो आपको नहरें और खेत खिलायन भी देखने को मिल जाएंगे। देखा जाए, तो गाजियाबाद में घूमने के लिए कई पर्यटन स्थल हैं।
लेकिन क्या आप गाजियाबाद की थोड़ी बहुत हिस्ट्री के बारे में जानते हैं? ऐसा कहा जाता है कि यहां मुगल बादशाह अहमदशाह का शासन हुआ करता था। उनके वजीर ने ही इस शहर की स्थापना की थी। इसलिए इस शहर का नाम गाजियाबाद रखा गया। ये सब सुनने के बाद आपकी इतिहास में दिलचस्पी बढ़ी होगी, तो चलिए पहले जानते हैं इस सिटी के बारे में, फिर आपको बताएंगे आज के समय में यहां क्या-क्या फेमस हुआ है।
गाजियाबाद की स्थापना 300 साल पहले 1740 में हुई थी। उस वक्त यहां मुगल बादशाह अहमदशाह का शासन था। उस दौरान बादशाह के वजीर थे गाजीउद्दीन। उन्होंने ही इस शहर की स्थापना की थी, इसलिए इस शहर का नाम गाजी-उद-दीन से लिया गया था। उन्होंने इस शहर का नाम पहले गाजीउद्दीन नगर रखा और बाद में इसका नाम छोटा करके गाजियाबाद रख दिया गया।
गाजियाबाद में स्थित हिंडन नदी के पास हुई एक रिसर्च से मिले सबूत बताते हैं कि गाजियाबाद शहर 2500 ई.पूर्व का है। गाजियाबाद के ईस्ट बॉर्डर पर कोट नाम का गांव है। बताया जाता है कि इसे समुद्रगुप्त का सहयोग प्राप्त था। चौथी सदी में समुद्रगुप्त और कोट कुलजम के बीच भयंकर युद्ध हुआ। किले पर जीत हासिल करने के बाद समुद्रगुप्त ने कोट गांव में ही अश्वमेध यज्ञ किया था। यहीं से गाजियाबाद की नींव पड़ी थी और ये शहर अस्तित्व में आया।
बहुत कम लोग जानते हैं कि गाजियाबाद कभी मेरठ का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन 14 नवंबर 1976 को तत्कालीन मुख्मंत्री एनडी तिवारी ने गाजियाबाद को मेरठ से अलग कर इसे जिला घोषित कर दिया, वो भी इसका नाम बदले बिना।




































