गाजियाबाद में पानी में टीडीएस की मात्रा पांच गुना तक अधिक बढ़ा हुआ पाया गया है. इस पानी को पीने के कई लोग पेट संबंधी बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. जिला प्रशासन कार्रवाई की तैयारियों में जुटा हैशहर का पानी पीने लायक नहीं है. यहां कुछ इलाकों में पानी में टीडीएस (TDS) की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है. स्वास्थ्य विभाग (Health Department) द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट में 5 गुना तक अधिक टीडीएस की मात्रा पाई गई है. रिपोर्ट आने के बाद गाजियाबाद प्रशासन (Ghaziabad Administration) भी सख्त हो गया है और सोसाइटी के बिल्डर और मेंटेनेंस के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. यहां रहने वाले स्थानीय लोगों ने बोलतबंद पानी पीना शुरू कर दिया है. गाजियाबाद के महागुनपुरम में पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग ने पानी के सैंपल की जांच की थी. यहां से लिए गए सैंपल में 15 फेल हो गए. टीडीएस की मात्रा 700 के करीब पाई गई है, जबकि इसकी मात्रा 150 से 250 के बीच होनी चाहिए. यानी पानी पीना स्वास्थय के लिए खतरनाक है. पानी पीने से टाइफाइड, डायरिया और पेट संबंधी और भी बीमारियां होने की शिकायत के बाद प्रशासन भी हरकत में आया. मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट विपिन कुमार भी पहुंचे. सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि इस मामले में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और स्वास्थ्य विभाग को आवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं. जिला मलेरिया अधिकारी डॉक्टर जीके मिश्रा ने बताया कि लोगों की स्वास्थ्य जांच के लिए पिछले दो दिनों से कैंप लगाया जा रहा है. बीमार लोगों को दवा दी जा रही है. कैंप इस सप्ताह भी लगाया जाएगा. जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वहां पर पानी की सप्लाई बिल्डर और सोसाइटी मेंटेन करने वाली कंपनी ही कर रहे है. स्वास्थ्य विभाग ने पानी की टंकियों में क्लोरीन डलवाने के लिए गोलियां उपलब्ध करा दी हैं. स्थानीय निवासियों का आरोप है कि मेंटेन करने वाली कंपनी ने अभी तक क्लोरीन की गोलियों को टंकियों में नहीं डलवाया है. जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि पानी में औसत मात्रा में क्लोरीन न होने से जलजनित एवं संक्रामक रोग फैलने की आशंका रहती है. इस तरह का पानी पीने से हैजा, टाइफाइड, डायरिया हो सकता है.