प्रदेश में भूमि बैंक बनाया जाएगा जिसकी शुरुआत करनाल से होगी। अक्सर जब सरकार कोई बड़ी परियोजना शुरू करना चाहती है या कोई निर्माण करना चाहती तो भूमि खरीदने या अधिग्रहण आदि करने में वर्षों लग जाते हैं। तब तक परियोजना की लागत कई गुना बढ़ जाती है। अब परियोजना सही समय पर शुरू हो सके और प्रथम प्रोजेक्ट लागत में ही निर्माण पूरा हो सके इसलिए हरियाणा सरकार सरकारी विभागों के पास उपलब्ध व खाली पड़ी भूमि का बैंक बनाने जा रही है। भूमि बैंक के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विधान सभा क्षेत्र करनाल से की जा रही है। योजना का नोडल अधिकारी एसडीएम गौरव कुमार को बनाया है। यह प्रयास सफल रहा तो इसे प्रदेश के सभी 22 जिलों में लागू किया जाएगा।
प्रस्तावित भूमि बैंक बनाने को लेकर लघु सचिवालय में संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ उपायुक्त निशांत यादव ने बैठक की। जिसमें बताया कि भूमि की सूचना एक फॉर्मेट के जरिए संबंधित विभागों से मांगी गई थी, जिसमें विभाग का नाम, खसरा नंबर और पजेशन की जानकारी देनी है। ऐसी जमीन जो पट्टे पर दी गई हो, लेकिन प्रयोग में नहीं ली गई, उसकी सूचना दी जा सकती है। गौचरान की जितनी भी जमीन है, नियमानुसार उसका 10 प्रतिशत ही खाली माना जाए, उसकी डिटेल दे दें। जिन जमीनों की बोली नहीं की गई है, उनकी भी जानकारी दी जाए। संबंधित अधिकारी को एक शपथपत्र देना होगा। यदि उसमें कमी पाई गई तो अधिकारी के खिलाफ सरकार कार्रवाई होगी। बैठक में एसडीएम गौरव कुमार, जिला राजस्व अधिकारी श्याम लाल, डीडीपीओ राजबीर खुंडिया, सभी खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, नगर निगम के ईओ व सभी नगर पालिका सचिव, मार्केट कमेटी के सचिव, हैफेड के जिला प्रंबधक, ईओ एचएसवीपी, एचएसआईआईडीसी के वरिष्ठ प्रबंधक, पर्यटन विभाग के प्रतिनिधि, जन स्वास्थ्य व सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता, नगर निगम के नायब तहसीलदार मौजूद रहे।
जिले में इन विभागों के पास उपलब्ध है जमीन
राजस्व, विकास एवं पंचायत, नगर निगम व पालिकाएं, विपणन बोर्ड, एचएसआईआईडीसी, पर्यटन, जन स्वास्थ्य विभाग, सिंचाई, हैफेड और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) आदि।
इस श्रेणी की जमीन होगी भूमि बैंक में शामिल
भूमि बैंक के लिए नजूल (लावारिस) भूमि, किसी के छोड़कर चले जाने पर खाली पड़ी जमीन, जन स्वास्थ्य विभाग, पर्यटन, नगर निगम व नगर पालिकाओं की अपनी जमीन जिस पर कोई निर्माण नहीं है, पंचायतों की शामलात जमीन तथा अलग-अलग विभागों द्वारा पूर्व में अधिगृहित की गई और अब तक प्रयोग में नहीं ली गई जमीन शामिल होगी।
2013 से नए भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के बाद सरकारी कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण करना मुश्किल भरा काम हो गया है। लेकिन यदि सरकार के पास अपनी जमीन होगी तो उस पर प्रोजेक्ट या कोई भवन निर्माण आसानी से किया जा सकेगा। जिस विभाग के पास अपनी जमीन नहीं है, वह भूमि बैंक में मौजूद अन्य विभाग से जमीन खरीद सकेंगे। संबंधित विभागीय अधिकारियों से भूमि बैंक के लिए सरकारी जमीन का ब्यौरा मांगा गया था। कुछ विभागों ने अभी नहीं भेजा है, उनसे आज शाम 4 बजे तक ब्योरा देने को कहा गया है, ताकि उसकी सूचना सरकार को दी जा सके। इस विवरण को वेबसाइट पर डाला जाएगा।