खेती-किसानी में आगे रहने वाले हरियाणा में मिट्टी की जांच करने वाली प्रयोगशालाओं का जाल बिछाया जाएगा. इस साल के अंत तक प्रदेश में 75 नई स्वायल टेस्टिंग लैब तैयार हो जाएंगी. जिनमें से आज की 40 की शुरुआत हो जाएगी. इससे प्रदेश के किसानों को काफी फायदा होगा. वे यह देखकर खाद का इस्तेमाल करेंगे कि उनके खेत में कौन से पोषक तत्व की कमी है. इससे कृषि लागत में कमी आएगी और इनकम में वृद्धि होगी.
हर खेत-स्वस्थ खेत के नारे के साथ जिन 40 नई मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं की शुरुआत बृहस्पतिवार को हो रही है उनके भवन निर्माण पर 5.3 करोड़ रुपये तथा उपकरणों पर 5 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि 35 अन्य परीक्षण प्रयोगशालाएं इस वर्ष के अंत तक शुरु हो जाएंगी. इनके भवन निर्माण पर 7 करोड़ खर्च होंगे. जबकि 12 करोड़ रुपये के उपकरण खरीदे जाएंगे. इन सबको मिलाकर हरियाणा में 110 स्वायल टेस्टिंग लैब हो जाएंगी, जिनका किसान (Farmer) लाभ उठाएंगे. प्रयोगशाला ज्यादा होंगी तो उनमें मिट्टी जांच करने का दबाव कम होगा.
कितने एरिया की होगी जांच
राज्य सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक हर खेत-स्वस्थ खेत मुहिम के तहत अगले 3 साल में प्रदेश के हर एक कृषि योग्य जमीन की मिट्टी की जांच की जाएगी. करीब 75 लाख मृदा नमूने एकत्र व विश्लेषण करके मृदा स्वास्थ्य कार्ड (soil health card) किसानों को वितरित किए जाएंगे. इस वर्ष 25 लाख मिट्टी के नमूने एकत्र व जांच करके मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जाएंगे. दरअसल, खादों के अंधाधुंध इस्तेमाल से कृषि की लागत में वृद्धि हो रही है और खेत की उर्वरा शक्ति में कमी आ रही है. इस दोहरे नुकसान से बचने के लिए स्वायल टेस्टिंग जरूरी हो गई है.
स्वायल टेस्टिंग का बजट बढ़ा
वर्ष 2021-22 में इस योजना के लिए बजट प्रावधान 10 करोड़ से बढ़ाकर 59 करोड़ रुपये किया गया है. सरकार ने विद्यार्थियों को स्वायल टेस्टिंग का काम सिखाकर उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ कमाई भी करवाएगी. कॉलेजों के इच्छुक छात्र-छात्राओं को ट्रेंड करके इस काम में लगाया जाएगा. विद्यार्थियों से मृदा नमूना एकत्र करने के लिए 40 रुपये प्रति नमूना मानदेय दिया जाएगा.