मंत्रालय के अनुसार, “यह नीति भारतीय उपभोक्ताओं को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी तक पहुंच प्रदान करेगी, ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देगी, ईवी निर्माताओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर ईवी इकोसिस्टम को मजबूत करेगी। जिसकी वजह से उच्च उत्पादन मात्रा, पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं, उत्पादन लागत में कमी, कच्चे तेल के आयात में कमी, व्यापार घाटे में कमी, खासकर शहरों में वायु प्रदूषण में कमी होगी और स्वास्थ्य और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।”
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा यह घोषणा करने के कुछ ही दिनों बाद यह कदम उठाया गया है कि भारत विदेशी कार निर्माताओं को लाभ पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क नीति में कोई बदलाव नहीं करेगा। पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में गोयल ने कहा था, “सरकार किसी एक विशेष कंपनी या उसके हितों के लिए नीति नहीं बनाती है। हर किसी को अपनी मांगें रखने का अधिकार है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार आपकी मांग के आधार पर ही फैसला लेगी।”
यह कदम टेस्ला जैसी विदेशी कार निर्माताओं के लिए भारत में लॉन्च रणनीति पर पुनर्विचार करने का एक और अवसर के रूप में देखा जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों से यह अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता भारतीय बाजार में एंट्री करने के लिए कम आयात टैक्स की पैरवी कर रहा था। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कंपनी और केंद्र सरकार के बीच विभिन्न स्तरों पर बातचीत भी हुई है। भारत की प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टाटा मोटर्स ने पहले केंद्र सरकार से इलेक्ट्रिक कारों पर आयात शुल्क कम नहीं करने और घरेलू निर्माताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने का आग्रह किया था।