हरियाणा में नरमे यानि कपास की फसल पर मौसम और गुलाबी सुंडी की मार की वजह से भी वर्ष 2020 के मुकाबले इस साल उत्पादन आधे से भी कम रह गया है। रकबा भी काफी घट गया है। प्रदेश में सिरसा जिला नरमे के उत्पादन में अव्वल रहा है।

हरियाणा सरकार ने चार साल में प्रदेश में नरमे यानी कपास की खेती के प्रोत्साहन पर करीब 112 करोड़ रुपये खर्च किए। फिर भी चिंता की बात यह है कि नरमे की खेती के प्रति किसानों का रुझान घट रहा है। फसल पर मौसम और गुलाबी सुंडी की मार की वजह से भी वर्ष 2020 के मुकाबले इस साल उत्पादन आधे से भी कम रह गया है। रकबा भी काफी घट गया है। प्रदेश में सिरसा जिला नरमे के उत्पादन में अव्वल रहा है। इस वर्ष औसत उपज के मामले में मेवात जिला सबसे आगे है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, सिरसा के संयुक्त निदेशक कार्यालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-2020 में प्रदेश में नरमे का उत्पादन करीब 24.84 लाख टन रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था, लेकिन वर्ष 2022-23 में इसका उत्पादन घटकर करीब 9.99 लाख टन रह गया है। नरमे की खेती का रकबा घटने की वजह से भी उत्पादन घटा है।
 वर्ष 2020-21 में सबसे अधिक 7.39 लाख हेक्टेयर में नरमे की खेती गई थी, लेकिन उत्पादन गिर गया। नरमे की खेती को प्रोत्साहन देने पर अरबों खर्च करने के बावजूद वर्ष 2022-23 में इसका रकबा घटकर 5.74 लाख हेक्टेयर रह गया है। आदमपुर अनाज मंडी के व्यापारी आनंद शर्मा बताते हैं कि पिछले साल नरमे का भाव 8000 रुपये क्विटंल से ज्यादा था, लेकिन अभी 7056 रुपये क्विवंटल के दर से नरमे की खरीदारी हो रही है।
इसका कारण है कि इस बार सुंडी बीमारी की वजह से नरमे की गुणवत्ता खराब हो गई है। पिछले साल एक एकड़ में 10-15 क्विंटल नरमा निकलता था, वहीं इस बार घटकर 3-4 क्विंटल रह गया है। सुंडी की वजह से टिंडे खिल ही नहीं पाए। यही वजह है कि किसानों को दोहरी मार सहनी पड़ रही है।
 
  
 


















































