कुरुक्षेत्र में भारतीय किसान यूनियन अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि कि धान के सीजन के दौरान फर्जी पोर्टल दर्ज कर करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम देने के लिए कुछ ऐसी फर्मों को खड़ा किया गया, जिनका कोई अस्तित्व नहीं है।
मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल फर्जीवाड़े का पोर्टल बन चुका है। इसी की आड़ में धान खरीद के दौरान सैंकड़ों करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इसे अंजाम देने के लिए फर्जी फर्में खड़ी की गई और इसमें मार्केर्टिंग बोर्ड, राजस्व विभाग सहित खरीद एजेंसियां भी शामिल रही है। ये गंभीर आरोप भारतीय किसान यूनियन अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने लगाए। वे वीरवार को जाट धर्मशाला में हुई प्रदेश स्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
इस दौरान उन्होंने 23 नवंबर को पीपली अनाज मंडी में होने वाली जन आक्रोश रैली को लेकर तैयारियों की समीक्षा की प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों से फ़ीड बैक लिया और रैली को कामयाब बनाने के लिए कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी लगाई।
भाकियू की प्रदेश स्तरीय बैठक में चढूनी ने लगाए गंभीर आरोप
चढूनी ने कहा कि धान के सीजन के दौरान फर्जी पोर्टल दर्ज कर करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम देने के लिए कुछ ऐसी फर्मों को खड़ा किया गया, जिनका कोई अस्तित्व नहीं है। हिसार, रोहतक, रायपुर रानी आदि क्षेत्रों की जमीनों पर धान की फसल की पैदावार दिखाकर उनके पोर्टल पिहोवा व अन्य मंडियो में दर्ज करवाए गए व उसके बाद उनके गेट पास काटकर उनके जे फार्म जारी किए गए। कागजी तौर पर उस भूमि पर पैदा की गई धान की फसल की खरीद पिहोवा में दिखाई गई, जबकि इन ज़मीनों पर धान की पैदावार नहीं हुई। इसी प्रकार गुहला चीका क्षेत्र के रहने वाले लोगों द्वारा रोहतक व अन्य क्षेत्रों में धान उगाकर उसे पिहोवा में लाकर बेचा दिखाया गया व उनके पोर्टल पिहोवा में दर्ज किए गए।
बोले, घोटाले को अंजाम देने के लिए खड़ी की गई फर्जी फर्में
चढूनी ने कहा की यह कैसे हो सकता है कि रोहतक का किसान उसी एमएसपी पर जो उसे रोहतक में मिल रही हो, अपनी धान को बेचने वहां से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी तय करके पिहोवा में बेचने आएगा। उन्होंने कहा कि घोटाले से जुड़े लोगों ने कई बंजर जमीनों, रिहायशी क्षेत्रों में धान की पैदावार दिखाकर उनका पोर्टल दर्ज करवा दिया और पोर्टल में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों का चूना सरकार को लगाया । इसी कारण असली किसानों की धान मंडियों में नहीं बिक पा रही क्योंकि राइस मिलो का कोटा कागजों में फर्जी खरीद दिखाकर पूरा कर दिया गया है और मंडियों में धान 1800-2000 रुपये प्रति क्विंटल तक लूटा जा रहा है जो की न्यूनतम समर्थन मूल्य 2203 रुपये क्विंटल से बेहद कम है।