भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने रविवार को हजारों गाड़ियों के काफिले के साथ अंबाला से दिल्ली के लिए कूच किया। किसानों का काफिला वाया करनाल पानीपत होते हुए दिल्ली पहुंचेगा। प्रदेश प्रवक्ता राकेश बैंस के अनुसार खेती कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के प्रदर्शन को भी छह महीने से ज्यादा हो चुके हैं। रविवार को अंबाला-अमृतसर नैशनल हाइवे स्थित शंभू बॉर्डर से किसानों का काफिला दिल्ली के लिए रवाना हुआ। इस काफिले में किसानों के हजारों वाहन शामिल थे। काफिले को रवाना करने के लिए गुरनाम सिंह चढूनी पहुंचे और उन्होंने किसानों को कुछ समय के लिए संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कृषि अध्यादेश बनाए हुए एक साल पूरा हो गया है। इस पर शनिवार को किसानों ने सत्ता पक्ष के नेताओं के घरों के आगे पूरे देश में कानूनों की प्रतियां जलाईं हैं।
10 जून को पानीपत से रवाना होगा काफिला
अंबाला से तीन हजार लोगों का काफिला दिल्ली लेकर जा रहे हैं। गुरनाम ने कहा कि 10 जून को पानीपत से काफिला लेकर जाएंगे। इसी तरह क्रम जारी रहेगा। सरकार को चेताने के लिए जा रहे हैं। पिछले छह माह के मुकाबले सरकार की हालत और खराब है। लोगों के मन में नफरत भर गई है।
‘अब और चुनाव हारेगी बीजेपी’
गुरनाम ने कहा कि बीजेपी पश्चिम बंगाल का चुनाव हारी हैं। आगे यूपी का चुनाव होगा, उसमें मिशन यूपी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन में एक बार फिर किसानों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है।
युवा किसानों का हो रहा स्वागत
किसानों के काफिले का कुरुक्षेत्र में पिपली, करनाल में घरोंडा के पास बतसाड़ा टोल प्लाजा पर और पानीपत में टोलप्लाजा पर रोक कर के खासतौर पर युवा किसानों ने स्वागत किया। बता दें कि जीटी रोड़ किसानों के लिए कई जगह लंगर लगे हुए हैं जहां पर खाने पीने की पूरी व्यवस्था की गई है। इस बीच जिला कुरुक्षेत्र प्रेस प्रवक्ता प्रिंस वड़ैच ने दावा किया है कि जिस समय काफिला कुरुक्षेत्र से गुजरा उस समय काफिले में करीब पांच हजार वाहन थे।
छह महीने से लगातार डटे हैं किसान
आपको बता दें कि अंबाला से पिछले साल 26 नवंबर को ही किसानों के काफिले ने दिल्ली की ओर कूच किया था। इसे 6 माह बीत चुके हैं। किसानों का आंदोलन दिल्ली के बॉर्डरों पर जारी है। हालांकि पिछले कुछ महीनों से फसल कटाई का सीजन और कोरोना के चलते किसानों की संख्या दिल्ली धरनों पर कुछ कम देखी जा रही थी।
किसान आंदोलन में किसानों का जोश और कृषि कानूनों के प्रति रोष कम न हो, इसलिए गुरनाम चढूनी अलग-अलग धरना स्थलों पर काफिलों को दिल्ली की ओर रवाना कर रहे हैं। इस दौरान किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी बसों में सवार होकर दिल्ली जा रही हैं।