आधा हरियाणा नशे की गिरफ्त में आ चुका है। 22 में से 11 जिलों में नशे का कारोबार दिन ब दिन फलफूल रहा है और इसकी लत से युवा बर्बाद हो रहे हैं। पंजाब सीमा से लगते जिलों में युवा सिंथैटिक नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं। प्रदेश सरकार गंभीरता से नशाखोरी को कम करने का प्रयास कर रही है, लेकिन नशामुक्ति केंद्र पूरे प्रदेश में जमीनी स्तर पर नहीं बन पाए हैं। नशा तस्करों और तस्करी में संलिप्त अन्य लोगों का डाटा राज्य नारकोटिक्टस कंट्रोल ब्यूरो हॉक साफ्टवेयर और मोबाइल एप प्रयास के जरिये तैयार कर रहा है। सिरसा, रोहतक, हिसार, फतेहाबाद, अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, सोनीपत, पंचकूला और नूंह नशे के गढ़ बन चुके हैं। मुख्यमंत्री का करनाल और गृह मंत्री का अंबाला जिला भी इस सूची में शामिल है। हरियाणा में पंजाब के अलावा दिल्ली और राजस्थान के रास्ते नशे की सप्लाई हो रही है। नशा तस्करों को पकड़ने के लिए बनाई गई स्पेशल टीमों के अधिकारियों की माने तो हेरोइन की सप्लाई मुख्य रूप से दिल्ली से हो रही है। पंजाब से हेरोइन की सप्लाई नाममात्र है। अफीम और चूरापोस्त राजस्थान से आ रहा है। मेडिकल नशे की सप्लाई के लिए दिल्ली और जींद गढ़ बना हुआ है। उड़ीसा से गांजा की सप्लाई हो रही है। पुलिस हाईवे पर नाकेबंदी तक सीमित है, जबकि लिंक रोड से नशे की सप्लाई हो रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि अंतरराज्जीय ड्रग सचिवालय थ्री-ई पर काम कर रहा है। इसमें एनफोर्समेंट, एजुकेशन, एंगेजमेंट ऑफ सिविल सोसायटी शामिल है। अफसरों और जनप्रतिनिधियों की संयुक्त टीमों के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। पंजाब के साथ लगती सीमा पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। नशे की आपूर्ति करने वालों पर शिकंजा कसा है। तस्करों को सलाखों के पीछे भेजने के लिए आंतरिक नीति को अमलीजामा पहना रहे हैं।