हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष बड़ौली से पहले इन नेताओं पर लग चुके हैं यौन शोषण के आरोप, कुछ को मिल चुकी है क्लीन चिट
हरियाणा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पर दुष्कर्म का केस, सियासत गरमाई
चंडीगढ़: हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में दुष्कर्म का मामला दर्ज होने के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। यह मामला उस समय सामने आया है जब हरियाणा में बीजेपी संगठन चुनाव प्रक्रिया चल रही है। बड़ौली के दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावनाओं पर भी चर्चा हो रही थी। इस नए विवाद के चलते उनका सार्वजनिक जीवन प्रभावित हो सकता है।
पहले भी लगे नेताओं पर गंभीर आरोप
हरियाणा में नेताओं पर दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप पहले भी लग चुके हैं। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह पर जूनियर महिला कोच ने दुष्कर्म के आरोप लगाए थे। यह मामला अभी भी चंडीगढ़ की अदालत में विचाराधीन है। विपक्ष के दबाव के कारण संदीप सिंह ने खेल विभाग का कार्यभार छोड़ दिया, लेकिन सरकार ने उन्हें मंत्री पद से नहीं हटाया। हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान उनका टिकट काट दिया गया। वर्तमान में संदीप सिंह राजनीतिक रूप से अज्ञातवास में हैं।
सुभाष बराला के बेटे पर छेड़छाड़ के आरोप
मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में तत्कालीन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला पर एक आईएएस अफसर की बेटी के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगे थे। इस घटना ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी थी, और इसके चलते सुभाष बराला को मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाया।
गोपाल कांडा का विवाद
मनोहर सरकार से पहले हुड्डा सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान तत्कालीन गृह राज्यमंत्री गोपाल कांडा पर एयर होस्टेस गीतिका शर्मा को यौन शोषण और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगे थे। इस मामले में गोपाल कांडा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
चंद्रमोहन को भी छोड़ना पड़ा पद
हुड्डा सरकार के पहले कार्यकाल में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन धर्म परिवर्तन करके उस समय की अतिरिक्त महाधिवक्ता अनुराधा बाली उर्फ फिजा के साथ शादी करने के कारण विवादों में घिर गए थे। इस विवाद के कारण उन्हें उपमुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा और वह लंबे समय तक राजनीतिक अज्ञातवास में रहे।
निष्कर्ष
हरियाणा की राजनीति में इस तरह के आरोप और विवाद कोई नई बात नहीं हैं। हालिया मामला बीजेपी की संगठनात्मक और सार्वजनिक छवि पर गंभीर असर डाल सकता है। विपक्ष इस मामले को लेकर पहले ही आक्रामक है, और आने वाले समय में यह मामला राजनीतिक उठापटक का बड़ा कारण बन सकता है।