फसल खरीद के बाद भुगतान में देरी पर नौ प्रतिशत ब्याज भी देना पड़ेगा। यह राशि किसानों के सत्यापित बैंक खातों में सीधे भेजी जाएगी। पिछली बार रकम आढ़तियों के खाते में गई थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। यह स्पष्ट निर्देश मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों को दिए हैं। साथ ही कहा कि फसल खरीद के बाद किसानों को निर्धारित समय पर भुगतान किया जाना सुनिश्चित किया जाए। लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हरियाणा की मंडियों में एक अप्रैल से शुरू होने वाली फसल खरीद की तैयारियों को लेकर आयोजित बैठक में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कहा है कि मंडियों में फसल उठान के व्यापक प्रबंध किए जाएं। यदि कोई ट्रांसपोर्टर 48 घंटे के भीतर फसल नहीं उठाता तो उपायुक्त अन्य वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था कर फसल का उठान सुनिश्चित करेंगे। सभी जिलों के डीसी को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) को लेकर आदेश जारी कर दिए गए हैं। गेहूं और सरसों की खरीद एक अप्रैल से शुरू होगी, जबकि अन्य फसलों की खरीद 10 अप्रैल से की जाएगी। पिछली बार की शिकायतों से सबक लेते हुए सरकार इस बार फसल खरीद में कोई अड़चन नहीं आने देना चाहती। मुख्यमंत्री ने फसल खरीद के लिए किए गए प्रबंधों की समीक्षा की और संबंधित विभागों के अधिकारियों को कहा कि किसानों को फसल बेचते समय किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके लिए पूर्व में ही सारी तैयारियां पूरी कर ली जाएं।
उन्होंने कहा कि कोविड को देखते हुए पिछले वर्ष की तरह इस बार भी खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। खरीद केंद्रों की स्थापना के लिए जल्द से जल्द स्थानों की पहचान कर ली जाए। मंडियों में मजदूरों की उपलब्धता, धर्मकांटा, बारदाना और सिलाई मशीन की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है।
सॉफ्टवेयर के जरिए होगी किसानों को फसल खरीद की अदायगी
सरकार किसानों को फसल खरीद की अदायगी 48 घंटे के भीतर सुनिश्चित करने में जुट गई है। सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है और पहली अप्रैल से शुरू हो रही खरीद में इसके जरिए ही सीधा किसानों के खाते में पैसा जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि किसानों की फसल खरीद की अदायगी में देरी न हो, ये सुनिश्चित किया जाएगा। राशि भुगतान प्रक्रिया को लेकर सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इसकी मदद से इस बार हरियाणा के किसानों के खातों में सीधा राशि जाएगी। उन्होंने कहा कि इस बार आढ़ती के जरिए अदायगी नहीं होगी। आढ़ती का सारा खर्च और उनकी फीस उनको मिलती रहेगी लेकिन पेमेंट सीधा किसानों के खाते में होगी। मंडी में जितना काम आढ़ती का है, वह उसे ही करना है।मुख्यमंत्री के इस बयान से साफ है कि सरकार फिलहाल आढ़तियों के दबाव में आने वाली नहीं है। प्रदेश व्यापार मंडल ने भले ही इस मामले में अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी हो लेकिन सरकार के इरादे साफ हैं। उसने नई भुगतान प्रणाली को अपनाने का निर्णय ले लिया है। अब देखना यह है कि आढ़तियों व सरकार के बीच फसल खरीद को लेकर चले आ रहे मामले में अंतत: क्या होता है।