सीएमओ में एंट्री के लिए भाजपा के दिग्गजों में होड़, किसी को मनोहर आशीर्वाद तो किसी को नायब आस !

parmodkumar

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हरियाणा में नायब सैनी सरकार का मंत्रिमंडल तैयार हो गया है। उसमें जगह नहीं बची है। ऐसे में अब चुनाव हारने वाले वरिष्ठ नेताओं की नजर सीएमओ पर है क्योंकि राजनीतिक सलाहकार का रैंक कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है।

हरियाणा में भाजपा की तीसरी बार सरकार बनने के बाद अब मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में एंट्री को लेकर लॉबिंग तेज हो गई है। भाजपा के कई दिग्गज नेता इसको लेकर जोड़ तोड़ में लगे हैं। खुद के मजबूत एडजस्टमेंट के लिए नेताओं ने चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक आकाओं के दरबार में हाजिरी लगानी शुरू कर दी है। विधानसभा चुनाव हारे पूर्व मंत्री कंवरपाल गुर्जर, सुभाष सुधा और असीम गोयल के नाम दौड़ में चल रहे हैं।

आठ मंत्री हारे हैं चुनाव

इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा के आठ मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है। इनमें कंवरपाल, सुभाष सुधा, असीम गोयल, जेपी दलाल, संजय सिंह, रणजीत चौटाला, अभय सिंह यादव और कमल गुप्ता शामिल हैं। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को भी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की ओर से मंत्रिमंडल का गठन कर लिया गया और मंत्रिमंडल में कोई भी पद खाली नहीं बचा है।

अब केवल सीएमओ में एंट्री हो सकती है। इसके लिए विधायकों के साथ-साथ हारे हुए भाजपा नेता लॉबिंग में जुटे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय में सीएम के राजनीतिक सलाहकार और राजनीतिक सचिव के साथ ओएसडी के पद खाली हैं। इन पदों के लिए पूर्व मंत्री कंवरपाल गुर्जर, सुभाष सुधा और असीम गोयल के नाम की चर्चा है। कंवरपाल को मनोहर लाल का विश्वासपात्र माना जाता है, जबकि सुधा और गोयल की मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ मित्रता है। राजनीतिक सलाहकार का रैंक कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है और पिछली सरकार में पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी राजनीतिक सलाहकार बनाए गए थे।

ये नेता भी देख रहे बाट

भाजपा में चुनाव हारने वाले दिग्गज नेताओं की संख्या ज्यादा होने से उन्हें एडजस्ट करने की चुनौती बनी हुई है। पूर्ण बहुमत की सरकार होने के चलते भाजपा विधायकों को भी चेयरमैनी मिलने की आस है। पूर्व मंत्री मूलचंद शर्मा ऐसे नेता हैं, जो तीसरी बार जीतकर आए हैं, लेकिन उनको अभी कोई ओहदा नहीं मिला है। पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, रामबिलास शर्मा, बनवारी लाल और कमल गुप्ता ऐसे नेता हैं, जो खुद की एडजस्टमेंट में लगे हैं। हालांकि, देखना यह है कि किसका नंबर आता है और कौन इस दौड़ में पिछड़ जाता है।