Haryana Election: इम्तिहान खत्म… अब एक दिन का इंतजार; कड़े मुकाबले वाली 30 सीटों पर कुछ भी हो सकता है परिणाम !

parmodkumar

0
20

हरियाणा में 67.90 फीसदी मतदान दर्ज हुआ। मतदान खत्म होने के बाद राज्य में नई सरकार के गठन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। एग्जिट पोल के बाद कांग्रेस उत्साहित है, लेकिन सीएम पद के लिए खींचतान भी है।

हरियाणा की 90 सीटों पर मतदान खत्म होने के बाद राज्य में नई सरकार के गठन के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। अधिकतर एग्जिट पोल ने कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान लगाया है। दस साल बाद हरियाणा में सत्ता वापसी के इस संकेत के बाद कांग्रेस जहां उत्साहित है, वहीं, मुख्यमंत्री पद की दौड़ को लेकर खींचतान भी शुरू हो गई है।दूसरी ओर, एग्जिट पोल को हवा-हवाई बताकर भाजपा खुद को तीसरी बार सत्ता की दौड़ में मजबूती से शामिल होने का दावा कर रही है। भाजपा का कहना है कि आठ अक्तूबर को नतीजे चौंकाने वाले होंगे। राज्य के प्रमुख क्षेत्रीय दल इनेलो को भी पिछले चुनाव के मुकाबले सुधार की आस दिख रही है।

2019 के विस चुनाव में इनेलो एक केवल सीट पर सिमट गया था, इस बार उसे अपने पुराने वोट बैंक के साथ तीन से पांच सीट मिलने की उम्मीद है। वहीं, पिछले चुनाव की किंगमेकर बनी जनता जननायक पार्टी (जजपा) के सामने अस्तित्व बचाने का संकट है। दिल्ली व पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी भी रेस में कहीं नहीं दिखती है।

कांग्रेस की जीत में जाटों व दलितों की गुटबंदी का रहेगा अहम रोल
एग्जिट पोल के रुझानों की मानें तो कांग्रेस की सत्ता वापसी में जाट, सिख, मुस्लिम और दलित वोटों की गुटबंदी का अहम रोल रहेगा। ओबीसी व सामान्य वर्ग का कुछ वोट भी कांग्रेस के हिस्से में आ सकता है। पिछले चुनावों की गलतियों से सीखते हुए कांग्रेस ने शुरुआत से ही पार्टी को 36 बिरादरी (हरियाणा की सभी जातियां) के रूप पेश किया।

कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत जाट वोटों का लामबंद होना है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद को मजबूत जाट नेता दिखाकर इस वोट बैंक को क्षेत्रीय दलों में बंटने नहीं दिया। चुनाव से 48 घंटे पहले भाजपा के दलित नेता अशोक तंवर को शामिल कर कांग्रेस ने भाजपा के दलित कार्ड की रणनीति को भी परास्त करने की कोशिश की।

किसान व पहलवान आंदोलन और अग्निवीर की योजना को लेकर भाजपा के खिलाफ जो नाराजगी थी, कांग्रेस को उसका भी फायदा मिलता दिख रहा है। एग्जिट पोल से उत्साहित भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा- लोगों ने उनकी सरकार की उपलब्धियों और भाजपा की विफलताओं को देखते हुए कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है।

सैनी के तीसरी बार सरकार बनाने के दावे पर उन्होंने कहा- उनकी झूठ की दुकान है। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला के दावे कि सत्ता की चाबी उनके पास रहेगी पर हुड्डा ने कहा- आठ अक्तूबर को पता लग जाएगा कि उनकी चाबी खो गई है।

भाजपा अब भी उम्मीद पर कायम
एग्जिट पोल को दरकिनार करते हुए भाजपा अब भी उम्मीद पर कायम है। उसकी उम्मीद का आधार ओबीसी, सामान्य वर्ग और सरकार का लाभार्थी वोट बैंक है। पार्टी का कहना है कि यदि सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर होती तो मत प्रतिशत में बढ़ोतरी होती, लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत में करीब एक फीसदी की गिरावट है।

भाजपा के कैडर वोट के घर से नहीं निकलने के दावे पर पार्टी का कहना है कि इस बार पार्टी कार्यकर्ता ने 2019 के चुनाव से ज्यादा मेहनत की है। पार्टी का बूथ मैनेजमेंट कामयाब रहा है। पार्टी का दावा है कि 30 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जहां भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। इन सीटों पर जीत हार का अंतर बहुत कम रहेगा और कुछ भी उलटफेर हो सकता है।