हरियाणा में 67.90 फीसदी मतदान दर्ज हुआ। मतदान खत्म होने के बाद राज्य में नई सरकार के गठन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। एग्जिट पोल के बाद कांग्रेस उत्साहित है, लेकिन सीएम पद के लिए खींचतान भी है।
कांग्रेस की जीत में जाटों व दलितों की गुटबंदी का रहेगा अहम रोल
एग्जिट पोल के रुझानों की मानें तो कांग्रेस की सत्ता वापसी में जाट, सिख, मुस्लिम और दलित वोटों की गुटबंदी का अहम रोल रहेगा। ओबीसी व सामान्य वर्ग का कुछ वोट भी कांग्रेस के हिस्से में आ सकता है। पिछले चुनावों की गलतियों से सीखते हुए कांग्रेस ने शुरुआत से ही पार्टी को 36 बिरादरी (हरियाणा की सभी जातियां) के रूप पेश किया।
कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत जाट वोटों का लामबंद होना है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद को मजबूत जाट नेता दिखाकर इस वोट बैंक को क्षेत्रीय दलों में बंटने नहीं दिया। चुनाव से 48 घंटे पहले भाजपा के दलित नेता अशोक तंवर को शामिल कर कांग्रेस ने भाजपा के दलित कार्ड की रणनीति को भी परास्त करने की कोशिश की।
किसान व पहलवान आंदोलन और अग्निवीर की योजना को लेकर भाजपा के खिलाफ जो नाराजगी थी, कांग्रेस को उसका भी फायदा मिलता दिख रहा है। एग्जिट पोल से उत्साहित भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा- लोगों ने उनकी सरकार की उपलब्धियों और भाजपा की विफलताओं को देखते हुए कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है।
सैनी के तीसरी बार सरकार बनाने के दावे पर उन्होंने कहा- उनकी झूठ की दुकान है। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला के दावे कि सत्ता की चाबी उनके पास रहेगी पर हुड्डा ने कहा- आठ अक्तूबर को पता लग जाएगा कि उनकी चाबी खो गई है।
भाजपा अब भी उम्मीद पर कायम
एग्जिट पोल को दरकिनार करते हुए भाजपा अब भी उम्मीद पर कायम है। उसकी उम्मीद का आधार ओबीसी, सामान्य वर्ग और सरकार का लाभार्थी वोट बैंक है। पार्टी का कहना है कि यदि सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर होती तो मत प्रतिशत में बढ़ोतरी होती, लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत में करीब एक फीसदी की गिरावट है।
एग्जिट पोल को दरकिनार करते हुए भाजपा अब भी उम्मीद पर कायम है। उसकी उम्मीद का आधार ओबीसी, सामान्य वर्ग और सरकार का लाभार्थी वोट बैंक है। पार्टी का कहना है कि यदि सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर होती तो मत प्रतिशत में बढ़ोतरी होती, लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत में करीब एक फीसदी की गिरावट है।
भाजपा के कैडर वोट के घर से नहीं निकलने के दावे पर पार्टी का कहना है कि इस बार पार्टी कार्यकर्ता ने 2019 के चुनाव से ज्यादा मेहनत की है। पार्टी का बूथ मैनेजमेंट कामयाब रहा है। पार्टी का दावा है कि 30 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जहां भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। इन सीटों पर जीत हार का अंतर बहुत कम रहेगा और कुछ भी उलटफेर हो सकता है।