हरियाणा में 67.90 फीसदी मतदान दर्ज हुआ। मतदान खत्म होने के बाद राज्य में नई सरकार के गठन की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। एग्जिट पोल के बाद कांग्रेस उत्साहित है, लेकिन सीएम पद के लिए खींचतान भी है।
2019 के विस चुनाव में इनेलो एक केवल सीट पर सिमट गया था, इस बार उसे अपने पुराने वोट बैंक के साथ तीन से पांच सीट मिलने की उम्मीद है। वहीं, पिछले चुनाव की किंगमेकर बनी जनता जननायक पार्टी (जजपा) के सामने अस्तित्व बचाने का संकट है। दिल्ली व पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी भी रेस में कहीं नहीं दिखती है।
कांग्रेस की जीत में जाटों व दलितों की गुटबंदी का रहेगा अहम रोल
एग्जिट पोल के रुझानों की मानें तो कांग्रेस की सत्ता वापसी में जाट, सिख, मुस्लिम और दलित वोटों की गुटबंदी का अहम रोल रहेगा। ओबीसी व सामान्य वर्ग का कुछ वोट भी कांग्रेस के हिस्से में आ सकता है। पिछले चुनावों की गलतियों से सीखते हुए कांग्रेस ने शुरुआत से ही पार्टी को 36 बिरादरी (हरियाणा की सभी जातियां) के रूप पेश किया।
किसान व पहलवान आंदोलन और अग्निवीर की योजना को लेकर भाजपा के खिलाफ जो नाराजगी थी, कांग्रेस को उसका भी फायदा मिलता दिख रहा है। एग्जिट पोल से उत्साहित भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा- लोगों ने उनकी सरकार की उपलब्धियों और भाजपा की विफलताओं को देखते हुए कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है।
एग्जिट पोल को दरकिनार करते हुए भाजपा अब भी उम्मीद पर कायम है। उसकी उम्मीद का आधार ओबीसी, सामान्य वर्ग और सरकार का लाभार्थी वोट बैंक है। पार्टी का कहना है कि यदि सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर होती तो मत प्रतिशत में बढ़ोतरी होती, लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत में करीब एक फीसदी की गिरावट है।













































