आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी बचाने के मकसद से शुरू की गई मेरा पानी-मेरी विरासत योजना का असर दिखाई देने लगा है. इस मुहिम से फसल विविधीकरण की ओर किसानों का रूझान देखने को मिल रहा है. इसके तहत वर्ष 2021 में 32,196 किसानों ने 51,874 एकड़ क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य फसलों की बुआई की है. यह अपने आप में काफी सुखद है कि किसान जल संकट को देखते हुए ऐसा कदम उठा रहे हैं. इस योजना के तहत हरियाणा सरकार धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलों को अपनाने पर किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दे रही है. धान ज्यादा पानी की खपत वाली फसल है. कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि एक किलो चावल पैदा करने में औसतन 3000 लीटर पानी खर्च हो जाता है. हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि जल संरक्षण एवं माइक्रो इरीगेशन को बढ़ावा देने के लिए ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ की शुरुआत की गई थी. जिसके सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं. किसान धान की खेती को छोड़ रहे हैं. उनका रुझान कम पानी की खपत करने वाली फसलों में बढ़ा है. बाजरे पैदावार बाहुल्य जिलों में भी दलहन व तिलहन का रकबा बढ़ा है.
कितने क्षेत्र में होती है धान की खेती
कृषि मंत्री दलाल ने कहा कि हरियाणा में लगभग 37 लाख एकड़ में धान की खेती की जाती है. यही गिरते भू-जल स्तर का मुख्य कारण है. ज्यादा जल दोहन की वजह से यहां के नौ जिले डार्क जोन में शामिल हो गए हैं. मुख्यमंत्री का मामना है कि हम भावी पीढ़ी को खेतों के साथ-साथ पानी भी विरासत में देकर जाएं, इसके लिए उन्होंने ‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना’ की परिकल्पना की, जो पूरे देश में अपनी तरह की एक अनूठी योजना है.
बाजरा उत्पादन वाले जिलों में भी रुझान
दलाल ने बताया कि बाजरा उत्पादन बाहुल्य जिलों में भी इस योजना के प्रति किसानों का रुझान देखने को मिल रहा है. प्रदेश के 18 जिलों में 12819 किसानों ने 20562 एकड़ क्षेत्र में तिलहन व दलहन की फसलों की बुआई की और 4000 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि का लाभ उठाया. बता दें कि बाजरा की खेती छोड़ने पर राज्य सरकार चार हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन देने का एलान किया था.
पानी बचाने के लिए धान की पौध लगाने की बजाय सीधी बुवाई पर जोर दिया गया. प्रदेश के 7131 किसानों ने 14235 एकड़ क्षेत्र में जीरो टीलेज बिजाई मशीन से धान की सीधी बिजाई की. जिसके लिए किसानों को 5000 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी गई.
मेरा पानी मेरी विरासत की खासियत
>>धान के बदले मक्का, तिलहन एवं दलहन की फसल लेने वाले किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन.
>>ऐसे किसानों को फ्री में बीज उपलब्ध होगा, जिसकी कीमत 1200 से 2000 रुपये प्रति एकड़ हो सकती है.
>>धान की जगह अरहर और मक्का की फसल लेने पर फसल बीमा फ्री होगा. प्रीमियम राज्य सरकार देगी.
>>मक्का और अरहर तैयार होने पर उसकी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी.














































