हरियाणा सरकार ने पिछले दो सप्ताह में ही किसानों से रिकॉर्ड 28,15,893 टन धान खरीद लिया है. खरीफ मार्केटिंग सीजन 2020-21 में हुई कुल खरीद का आधा है. जबकि अभी धान की खरीद (Paddy procurement) प्रक्रिया 15 नवंबर तक चलेगी. यानी किसानों के पास अभी धान बेचने के लिए 27 दिन का और मौका है. रफ्तार की वजह से ही इस साल हरियाणा में पहले से अधिक धान खरीदे जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. खरीफ मार्केटिंग सीजन 2020-21 में राज्य सरकार ने 56.55 लाख मिट्रिक टन धान खरीदा था.
नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कुरुक्षेत्र और करनाल में सबसे अधिक खरीद हुई है. अम्बाला में 3,28,167 टन , फतेहाबाद में 1,50,809 टन, जीन्द में 54,036 टन, कैथल 4,57,557 टन, करनाल में 6,31,359 टन, कुरूक्षेत्र में 7,41,885 टन, पंचकुला में 56,291 टन, पानीपत में 26,643 टन, सिरसा में 25,798 टन तथा यमुनानगर में 3,07,198 टन धान की खरीद की गई है. प्रदेश के 200 केंद्रों पर खरीद हो रही है. सिर्फ उन्हीं किसानों से धान खरीदा जा रहा है जिनका रजिस्ट्रेशन मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल (Meri Fasal Mera Byora Portal) पर हो चुका है.
कितना हुआ भुगतान
सभी खरीद संस्थाओं द्वारा किसानों को उनकी धान की फसल की कुल 3724.43 करोड़ रुपये की अदायगी की जा चुकी है. जिसमें से खाद्य विभाग द्वारा 1939.27, हैफड द्वारा 1262.43 तथा हरियाणा वेयरहाउसिंग कोरपोरेशन द्वारा 522.43 करोड़ रुपये का भुगतान शामिल है. इस साल धान 1940 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदा जा रहा है.
देरी से भुगतान पर ब्याज का प्रावधान
राज्य के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के पैसे का भुगतान समय पर नहीं हुआ तो किसानों को ब्याज (Interest) दिया जाएगा. फसलों के भुगतान की समय सीमा 72 घंटे निर्धारित की गई है. पिछले सीजन में भुगतान में देरी की वजह से किसानों को एक करोड़ रुपये से ज्यादा का ब्याज दिया गया था. रबी सीजन के दौरान मूल्य अदा करने में देरी होने पर किसानों को 9 प्रतिशत ब्याज दिया गया था. खरीफ सीजन में भी यह नियम लागू है.