हरियाणा सरकार ने ‘करनाल-यमुनानगर’ नई रेल लाइन परियोजना को अपनी मंजूरी दे दी है. यह परियोजना इन दो महत्वपूर्ण शहरों के बीच सीधे एवं त्वरित रेल संपर्क के लिए क्षेत्र के लोगों की चिरलम्बित मांग पूरी करेगी. करनाल-यमुनानगर रेल लाइन हरियाणा के लोगों को त्वरित और सुरक्षित मोबिलिटी विकल्प प्रदान कर मूल परिवहन बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी. करीब 885 करोड रुपए की लागत से यह 4 साल में बनकर तैयार होगी. बताया गया कि इस संबंध में सितंबर 2019 में प्रेषित मसौदा रिपोर्ट में रेल मंत्रालय द्वारा दिए गए सभी सुझावों को शामिल करने के उपरांत हरियाणा सरकार ने 20 जुलाई 2021 को परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को मंजूरी दे दी है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की केंद्रीय रेल मंत्री के साथ हुई विभिन्न बैठकों में राज्य सरकार ने रेल मंत्रालय के साथ इस परियोजना के संबंध में विस्तृत बातचीत कर इसे आगे बढ़ाया है.
हरियाणा रेल अवसंरचना विकास निगम (एचआरआईडीसी- रेल मंत्रालय और हरियाणा सरकार का एक संयुक्त उद्यम) ने 883.78 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की इस डीपीआर को अंतिम रूप दिया है. बताया गया कि यह परियोजना लगभग चार वर्ष की अवधि में क्रियान्वित होगी. प्रस्तावित करनाल-यमुनानगर नई रेल लाइन दिल्ली-अंबाला रेलवे लाइन पर मौजूदा करनाल रेलवे स्टेशन से शुरू होगी और अंबाला-सहारनपुर रेलवे लाइन पर मौजूदा जगाधरी-वर्कशॉप रेलवे स्टेशन से जुड़ेगी. करनाल, पानीपत और मध्य हरियाणा के अन्य हिस्सों को सीधा संपर्क प्रदान करते हुए यह नई लाइन पूर्वी डीएफसी के लिए एक फीडर मार्ग के रूप में कार्य करेगी, जिसमें कलानौर स्टेशन (यमुनानगर के साथ) पर रेलवे के साथ इंटरचेंज पॉइंट होगा.
अंबाला छावनी के रास्ते करनाल से यमुनानगर तक मौजूदा रेल मार्ग से दूरी 121 किलोमीटर है. करनाल और यमुनानगर के बीच सडक़ मार्ग से दूरी 67 किलोमीटर है. इस प्रकार 64.6 किलोमीटर लम्बी यह प्रस्तावित नई रेलवे लाइन, इन दोनों शहरों के बीच सबसे छोटा लिंक प्रदान करेगी और यात्रियों के साथ-साथ माल ढुलाई के लिए यात्रा के समय को बहुत कम कर देगी. परियोजना से प्रमुख लाभों में करनाल और यमुनानगर के बीच सीधी एवं त्वरित कनेक्टिविटी, यात्रियों के लिए त्वरित आवाजाही की सुविधा, क्योंकि यात्रा की दूरी 50 किलोमीटर कम हो जाएगी और इंद्री, लाडवा और रादौर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से कृषि उपज, प्लाईवुड एवं लकड़ी, औद्योगिक उत्पादों, धातु उद्योग, उर्वरकों आदि के लिए बाजार तक त्वरित पहुंच सुनिश्चित होना शामिल है. इसके अलावा, यह परियोजना हरियाणा के दक्षिणी एवं पश्चिमी हिस्सों को पवित्र शहर हरिद्वार से सीधे जोड़ेगी.