मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रबी की फसल खरीद को लेकर बुलाई गई बैठक में रबी की फसल को खरीदने के बाद फौरन भुगतान करने के निर्देश दे दिए हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि रबी की फसल खरीदने के बाद भुगतान में देरी हुई तो इस पर किसान को 9 प्रतिशत का ब्याज दिया जाएगा कृषि कानून के विरोध के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों को अपने पक्ष में करने की कोशिशों में जुटी है. इसी को लेकर खट्टर सरकार ने रबी की फसल की खरीद को लेकर बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रबी की फसल खरीद को लेकर बुलाई गई बैठक में रबी की फसल को खरीदने के बाद फौरन भुगतान करने के निर्देश दे दिए हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि रबी की फसल खरीदने के बाद भुगतान में देरी हुई तो इस पर किसान को 9 प्रतिशत का ब्याज दिया जाएगा. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को अधिकारियों की बैठक बुलाकर रबी की समीक्षा की. उन्होंने राज्य भर में किसानों द्वारा उपजाई गई रबी की फसल की खरीद करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने इस दौरान कहा कि रबी सीजन 2021-22 के दौरान किसानों को किए जाने वाले भुगतान में किसी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए. यदि भुगतान में देरी होती है तो लगभग 9 प्रतिशत ब्याज (बैंक दर और एक प्रतिशत) के साथ भुगतान किया जाएगा. ये भुगतान किसानों के सत्यापित बैंक खातों में सीधे किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा किसानों को एक निर्धारित समय अवधि के भीतर खरीदी गई उपज का भुगतान किया जाना सुनिश्चित किया जाए. किसानों को मंडियों में अपनी उपज बेचते समय किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े. सुगम और समय पर खरीद सुनिश्चित करने के लिए एडवांस में शेड्यूलिंग की योजना बनाई जाए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि कोविड-19 मामलों में अचानक हो रही वृद्धि को देखते हुए खरीद प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए पिछले वर्ष की तरह इस बार भी खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए.
एक अप्रैल से गेहूं और सरसों की खरीद
गेहूं और सरसों की खरीद 1 अप्रैल से शुरू होगी जबकि अन्य फसलों की खरीद 10 अप्रैल से आरंभ होगी. खरीद केंद्रों की स्थापना के लिए जल्द से जल्द स्थानों को चिहिन्त कर लिया जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडियों में मजदूरों की उपलब्धता, धर्म कांटा, बारदाना और सिलाई मशीन आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. मंडियों से परिवहन की व्यापक व्यवस्था की जानी चाहिए और यदि कोई ट्रांसपोर्टर 48 घंटों के भीतर फसल का उठान करने में विफल रहता है, तो उपायुक्त अन्य वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था कर फसल का उठान सुनिश्चित करें.