केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बनाये जा रहे नये प्रोजेक्ट – सेंट्रल विस्टा की तर्ज़ पर हरियाणा में भी नई विधानसभा का निर्माण करने की योजना है।
विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने सोमवार को इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व सीएम मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखा है नये परिसीमन को ध्यान में रखते हुए स्पीकर ने यह कार्रवाई शुरू की है।
उन्होंने चंडीगढ़ में ही जगह की मांग की है ताकि राजधानी चंडीगढ़ पर हरियाणा का दावा पहले की तरह बरकरार रह। माना जा रहा है ककी नये परिसीमन की तैयारियां आने वाले समय में शुरू हो जाएगी।
2024 – 25 में नया परिसीमन आने की उम्मीद है बेशक, यह लागू 2029 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव में ही होगा। प्रदेश में बढ़ी हुई आबादी के हिसाब से इस बार परिसीमन में लोकसभा व विधानसभा की सीटों के बढ़ने की उम्मीद है वर्तमान में हरियाणा में लोकसभा की 10 और विधानसभा की 90 सीट है। वही प्रदेश से राजयसभा के पांच सांसद बनते है नये परिसीमन में लोकसभा की सीट बढ़कर 14 होने की उम्मीद है। नब्बे सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा की 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इनमे मुलाना, सढौरा, शाहाबाद, गुहला, नीलोखेड़ी, इसराना, नरवाना, रतिया, कालांवाली, बवानीखेड़ा, पटौदी, कलानौर, झज्जर, बावल, होडल शामिल है।
इसी तरह से लोकसभा की दस सीटों में से अम्बाला व सिरसा अजा के लिए आरक्षित है। अगर लोकसभा व विधानसभा की सीटें बढ़ती है रिज़र्व हल्के भी बढ़ेंगे।
सिरसा में दड़बा कला को खतम किया गया इसी तरह से भटू कला हल्का भी खतम हुआ यमुनानगर के छछरौली की जगह जगाधरी हल्का बन। पंचकूला जिला में पहले कालका अकेला हल्का था अब पंचकूला भी अलग सीट है इसी तरह से कुछ आरक्षित सीट ओपन हो गईऔर कुछ हलकों को रिज़र्व किया गया।
2004 – 05 में चौटाला सरकार के कार्यकाल के दौरान परिसीमन का काम शुरू हो गया है हलाकि परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट का नोटिफिकेशन 2008 में आया था। 2009 के लोकसभा चुनावो में नये परिसीमन के हिसाब से चुनाव हुए थे।
हालाँकि लोकसभा की सीटों की संख्या 10 और विधानसभा की नब्बे हो रही, लेकिन कई विस सीटें खतम हो गई थ। इनकी जगह नये हल्के अस्तित्व में आए थे। इसी तरह से भिवानी, महेंद्रगढ़ को मिलाकर एक संसदीय सीट बनाई गई। गुरुग्राम फिर नई लोकसभा सीट बन गई थी।