आईटी एग्जीक्यूटिव सुधीर ने वीआईपी नंबर HR88B-8888 के लिए ऑनलाइन नीलामी में 1.17 करोड़ रुपये से ज्यादा की बोली लगाकर सबको चौंका दिया था। हालांकि वह नबर लेने में कामयाब नहीं रहे। अब वह कह रहे हैं कि इस नंबर की बोली ज्यादा लग गई। वह दोबारा बोली नहीं लगाएंगे। वीआईपी नंबरों के शौकीन सुधीर के पास पहले से ही 0777 नंबर वाली चार कारें हैं। उन्होंने बताया कि एक ज्योतिषी ने उन्हें सलाह दी थी कि 8888 नंबर ज्यादा लकी होगा। सुधीर का कहना है कि जबरदस्त बोली की वजह से वह 1.17 करोड़ रुपये तक पहुंच गए। इस पूरे हंगामे को उन्होंने अनावश्यक बताया और कहा कि वह अब नंबर निजी तौर पर खरीदेंगे। मंत्री अनिल विज के इस मामले पर सवाल उठाने पर उसने कहा कि वह किसी भी जांच का स्वागत करते हैं।
अनिल विज ने क्या कहा था?
इससे पहले मीडिया से बात करते हुए हरियाणा सरकार में मंत्री अनिल विज ने बताया कि राज्य ऑनलाइन ऑक्शन सिस्टम के ज़रिए फैंसी और VVIP गाड़ी नंबर देता है, जिससे न सिर्फ़ खरीदार की इज्जत बढ़ती है, बल्कि सरकार को भी काफ़ी रेवेन्यू मिलता है। हाल ही में हुए ऑक्शन में हिसार के एक बोली लगाने वाले ने HR88B-8888 नंबर के लिए 1.17 करोड़ रुपये से ज़्यादा की बोली लगाई थी। यह एक नेशनल रिकॉर्ड है। जो सुर्खियां बटोर रहा था, लेकिन डेडलाइन तक पैसे जमा नहीं कर पाया।
क्यों जताई थी चिंता?
इस घटना को चिंता की बात बताते हुए विज ने कहा कि बिना असली इरादे या पेमेंट करने की क्षमता के बहुत ज्यादा ऊंची बोली लगाने के ट्रेंड पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑक्शन में बोली लगाना कोई शौक नहीं है। यह एक जिम्मेदारी है। मैंने ट्रांसपोर्ट अधिकारियों को उस व्यक्ति की इनकम और एसेट्स की अच्छी तरह से जांच करने का निर्देश दिया है। हमें यह पता लगाना होगा कि क्या उसके पास सच में इतनी ऊंची बोली लगाने की फाइनेंशियल क्षमता थी।
ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी पक्का करना जरूरी
विज ने आगे कहा कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को लिखकर बोली लगाने वाले की पूरी फाइनेंशियल जांच की मांग करेगा, ताकि यह पक्का हो सके कि ऑक्शन सिस्टम का गलत इस्तेमाल न हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे काम नीलामी प्रोसेस की ईमानदारी को कमज़ोर करते हैं और सरकारी रेवेन्यू पर असर डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी पक्का करना चाहते हैं। अगर कोई 1.17 करोड़ रुपये की बोली लगाता है, तो हमें यह वेरिफ़ाई करना होगा कि क्या उनके पास सच में उस बोली को मानने के तरीके हैं।















































