देश की राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थानीय पुलिस ने दिल्ली कूच का ऐलान करने को लेकर धरने पर बैठे और किसानों को बुधवार देर गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले मंगलवार को नोएडा पुलिस (Noida Police) ने राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल (Rashtriya Dalit Prerna Sathal) पर धरने पर बैठे 120 से ज्यादा किसानों को गिरफ्तार कर लिया था। किसानों ने दिल्ली तक मार्च करने की कोशिश की थी।
नोएडा एक्सप्रेसवे पर भीड़ के चलते लोगों को हुई परेशानी
नोएडा पुलिस ने बुधवार देर रात राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर धरने पर बैठे 34 और किसानों को गिरफ्तार कर अन्य को धरना स्थल से हटा भी हटा दिया, जिससे किसान गुस्से में हैं। ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक मंगलवार को नोएडा एक्सप्रेसवे पर दोपहर से शाम तक किसानों के धरने के कारण भीड़ के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
4 मांगों को लेकर अड़े हैं किसान
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा के 10 संगठनों ने इसी सप्ताह सोमवार यानी 2 दिसंबर को दिल्ली कूच ( Kisan Delhi MArch) का ऐलान किया था। किसान विकास कार्यों के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई अपनी जमीन के लिए अतिरिक्त मुआवजे सहित अपनी 4 मांगों को लेकर अड़े हैं। अधिकारियों की ओर से आश्वासन मिलने के बाद किसान संगठनों ने (दिल्ली कूच को लेकर) सात दिन का समय दिया था और इसके बाद वे नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर धरने पर बैठे थे।
सोमवार को दिल्ली कूच के लिए निकले थे 4,000 किसान
पुलिस ने मंगलवार को दलित प्रेरणा स्थल पर आने वाले किसानों को भी रोक दिया। साथ ही भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखबीर यादव ‘खलीफा’ सहित कुछ अन्य किसान नेताओं समेत 120 से ज्यादा किसानों को अरेस्ट कर लिया। सोमवार को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और आस-पास के जिलों के करीब 4,000 किसान भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू), संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) और अन्य किसान समूहों के बैनर तले दिल्ली की ओर कूच के लिए सड़कों पर उतरे थे। दिल्ली पुलिस ने चिल्ला बॉर्डर पर मार्च को रोक दिया, जिसके बाद किसानों ने आंदोलन नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल परशिफ्ट कर लिया था।
बुधवार को बुलाई थी महापंचायत
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने बुधवार को जेलों में बंद किसानों को छुड़ाने के लिए महापंचायत बुलाई थी और इसमें शामिल होने जा रहे राकेश टिकैत को पुलिस ने अलीगढ़ के टप्पल में रोक लिया था। इस पर किसान भड़क गए और बोले थे कि टिकैत को अगर नहीं छोड़ा तो आंदोलन तेज होगा। इसके बाद पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया था। वह धरनास्थल तक नहीं पहुंच सके थे।